राजनांदगांव : BJP के सीनियर लीडर और पूर्व सांसद नंद कुमार साय एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार फिर उन्होंने अपनी ही पार्टी और पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर नक्सल समस्या को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि मुझे कोई संकोच नहीं है ये बात कहने में कि इस समस्या को लेकर उस समय भी दल की तरफ से कोई प्रयास नहीं हो पाया। लेकिन अब जो सरकार है, या जो सरकार में भी नहीं हैं, उन्हें मिलकर इसका समाधान जरूर निकलना चाहिए। दरअसल, साय रविवार को सिलगेर की घटना को लेकर पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। इससे पहले भी साय अपनी ही पार्टी के खिलाफ बयानबाजी कर चुके हैं।
सभी को मिलकर समाधान निकालना होगा
साय ने चर्चा के दौरान कहा कि प्रशासन को ग्रामसभा को भी सुनना चाहिए था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं । ऐसा होता भी नहीं है, जिसके कारण कई बार ग्रामीण नाराज होते हैं। वहीं इसके कारण ही कई बार गोलीबारी हो जाती है, जिसके चलते कई बार पुलिसकर्मी, नक्सली और ग्रामीण भी मारे जाते रहे हैंं। मैं कहना चाहता हूं कि जो नक्सलियों के प्रमुख हैं, प्रशासन है, समाज प्रमुख हैं, उन सब को बैठकर चर्चा करना चाहिए कि आखिर ग्रामीण और नक्सली चाहते हैं क्या हैं। आखिर ग्रामीण क्यों सिलगेर में पुलिस कैंप का विरोध करना कर रहें, इन सब पूरी बातों पर पूरी चर्चा होनी चाहिए। प्रशासन की तरफ से और सरकार की तरफ से जो प्रयास अब तक नहीं हुए हैं, उस पर भी चर्चा होनी चाहिए। इसके बाद जो तथ्य सामने आएं उसको सामने रखकर इस समस्या का अंतिम समाधान करना चाहिए। इससे ही इस तरह की समस्या का हल हो सकेगा।
राज्य में पार्टी बहुत नीचे चली गई
इसके पहले भी साय ने पिछले साल अपनी ही पार्टी के खिलाफ एक बयान दिया था, जिसके बाद वो सुर्खियों में थे। उस दौरान उन्होंने राज्य संगठन की अगुवाई करने वाले नेतृत्व पर सवाल उठाए थे। उस दौरान उन्होंने कहा था कि विपक्ष में ओजस्वी नेतृत्व जरूरी है। पार्टी के स्थिति लो लेकर उन्होंने उस दौरान कहा थि कि राज्य में पार्टी बहुत नीचे चली गई है। वहीं इसके पहले भी अपनी ही पार्टी को कटघरे में खड़े करते रहे हैं। साय पार्टी के सीनियर लीडर के अलावा प्रदेश में एक बड़े आदिवासी नेता के रूप में भी जाने जाते हैं।
सिलगेर में क्या हो रहा है?
बीजापुर-सुकमा बॉर्डर पर स्थित सिलगेर में कैंप खुलने का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। ग्रामीण 12 मई से लगातार यहां प्रदर्शन कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कैंप खुलने से उनका जल, जंगल,जमीन छिन रहा है। इस बीच 17 मई को इसी विरोध के दौरान फायरिंग भी हो गई थी। उस दौरान गोली लगने से नाबालिग सहित तीन लोगों की मौत हुई। पहले उन्हें नक्सली बताया गया था, फिर ग्रामीण होने की पुष्टि हुई थी । इतना ही नहीं उस दौरान मची भगदड़ में घायल एक गर्भवती महिला ने भी इलाज के दौरान दम तोड़ दिया थाा। इसके बाद राज्य सरकार ने भी पूरे मामले को लेकर एक जांच दल गठित किया था।