बालकृष्ण मिश्रा /सुकमा : जलवायु परिवर्तन एवं वैश्विक तापमान में औसत रूप से हुई वृद्धि के कारण प्रदेश के कई जिलों के विभिन्न हिस्सों में अप्रैल से जून माह के दौरान भीषण गर्मी पड़ने एवं लू चलने की सम्भावना हैं। गर्मी के कारण जन स्वास्थ्य प्रभावित होता हैं उक्त परिस्थतियों को दृष्टिगत रखते हुए जन सामान्य को लू से बचाव के संबंध में आवश्यक जानकारी देना जरूरी हैं।
लू के लक्षणों में सिर में भारीपन और दर्द का अनुभव होना, तेज बुखार के साथ मुंह का सूखना, चक्कर और उल्टी आना, कमजोरी के साथ शरीर में दर्द होना, शरीर का तामपान अधिक होने के बावजूद पसीने का ना आना, अधिक प्यास लगना और पेशाब कम आना, भूख कम लगना और बेहाश होना इत्यादि हैं। लू लगने का प्रमुख करण तेज धूप और गर्मी में ज्यादा देर तक रहने के कारण शरीर में पानी और खनीज, मुख्यत नमक की कमी हो जाती है।
बच्चों, बूढ़ो और गर्भवती महिलाओं का रखे खास ध्यान
लू से बचाव के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए। बहुत अनिवार्य न हो तो घर से बाहर न जावें, धूप में निकलने से पहले सर व कानों को कपड़े से अच्छी तरह बांध ले, पानी अधिक मात्रा में पिएं, अधिक समय तक धूप में न रहे, गर्मी के दौरान नरम, मुलायम, सूती के कपड़े पहनने चाहिए ताकि हवा और कपड़े पसीने को सोखते रहें, अधिक पसीना आने की स्थिति में ओआरएस घोल पिएं, चक्कर आने, मितली आने पर छायादार स्थान पर आराम करें तथा शीतल पेयजल अथवा उपलब्ध हो तो फल के रस, लस्सी, मठा आदि का सेवन करें, प्रारम्भिक सलाह के लिए 104 आरोग्य सेवा केन्द्र से निःशुल्क परामर्श लें। बच्चें, गर्भवती माता एवं अधिक उम्र वाले तेज धूप में निकलने से बचें।
उल्टी, सरदर्द, तेज बुखार की दशा में निकट के अस्पताल अथवा स्वास्थ्य केन्द्र में जरूरी सलाह ली जाएं। इसी तरह से लू लगने पर प्राथमिक उपचार करना चाहिए, जिसमें बुखार पीड़ित व्यक्ति के सर पर ठण्डे पानी की पट्टी लगाएं, अधिक पानी व पेय पदार्थ पिलावें जैसे कच्चे आम का पन्ना, जलजीरा आदि का सेवन करना चाहिए, पीड़ित व्यक्ति को पंखे के नीचे हवा में लेटा देवें, शरीर पर ठण्डे पानी का छिड़काव करते रहे, पीड़ित व्यक्ति को शीघ्र ही नजदीकी चिकित्सक या अस्पताल में ईलाज के लिए जाएं, मितानिन, एएनएम से ओआरएस की पैकेट हेतु सम्पर्क जरूर करें।