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बस्तर के शांति कश्यप प्रकरण की नए सिरे से होगी जांच, मुख्यमंत्री खुद करेंगे समीक्षा व मॉनिटरिंग

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बिलासपुर/रायपुर। भाजपा के तीसरे शासनकाल में सर्वाधिक चर्चित मामलों में से एक शांति कश्यप नकल प्रकरण की जांच की रफ्तार अब तेज हो सकती है क्योंकि कुध दिन पहले प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल और अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस पर दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी है। बिलासपुर प्रवास पर पहुंचे मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस बहुचर्चित मामले की वे समीक्षा करेंगे ताकि दोषियों को दंडित किया जा सके। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि पं. सुंदरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय में चर्चित लोहंडीगुड़ा के शांति कश्यप प्रकरण की वे जानकारी लेंगे तथा जरूरत पडऩे पर इस मामले की नए सिरे जांच भी कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि इस मामले की वे खुद मॉनिटरिंग करेंगे। बिलासपुर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह सवाल उठाया गया था कि पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय बिलासपुर में कुछ वर्ष पहले चर्चित लोहांडीगुड़ा में मुन्नीबाई प्रकरण सामने आया है। मुख्यमंत्री को यह भी याद दिलाया गया कि इस मामले को लेकर उन्होंने खुद भी आंदोलन किया था। इसके जवाब में भूपेश बघेल ने कहा कि वे इस मामले की पूरी जानकारी लेंगे।
इससे पहले उच्च शिक्षामंत्री उमेश पटेल ने कहा है कि अब वक्त आ गया है, जब इस प्रकरण की अब तक की गई जांच की समीक्षा की जाए, यह देखा जाए कि पुलिस ने इन छह सालों में किस तरह की कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि बेशक यह बेहद गंभीर मामला है, इसकी प्रगति के बारे में जानकारी ली जाएगी तथा एक्शन भी लिया जाएगा।
यह है मामला
मामला करीब छह साल पुराना है, जब लोहण्डीगुड़ा के शासकीय हायर सेकण्डरी स्कूल में पं. सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय की एमए (पूर्व) के अंग्रेजी के की परीक्षा में तत्कालीन स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप की पत्नी शांति कश्यप के स्थान पर उनकी साली किरण मोर्या को पर्चा देते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था। तमाम साक्ष्य होने के बाद भी स्थानीय पुलिस ने तत्कालीन भाजपा सरकार के दबाव में अज्ञात महिला के नाम पर अपराध पंजीबध्द किया था। घटना 04 अगस्त 2015 की है।
भूपेश ने किया था घेराव
स्कूल शिक्षा मंत्री की पत्नी के स्थान पर साली को परीक्षा देते पकड़े जाने पर प्रदेश में सियासी पारा चढ़ गया था। जगदलपुर कांग्रेस ने बेहद आक्रामक तरीके से आंदोलन किया था। यह प्रदेश का अकेला ऐसा आंदोलन था, जिसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की हैसियत से भूपेश बघेल तीन बार जगदलपुर पहुंचे और कलेक्टोरेट का घेराव किया। तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने केदार कश्यप के निर्वाचिन क्षेत्र नारायणपुर में मोर्चा सम्भाला था।
अदालत भी पहुंचे
पुलिस की ढिलाई को देखते हुए प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन महासचिव मलकीत सिंह गेंदू तथा दीपक बैज (वर्तमान सांसद) ने अदालत का दरवाजा भी खटखटाया और परिवाद दायर किया परंतु इसका भी अब तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया।
विधायकों, सांसदों की खामोशी
बस्तर की सभी बारह विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। इसके अलावा लोकसभा सदस्य दीपक बैज तथा राज्यसभा सदस्य श्रीमती फूलोदेवी नेताम हैं। मुख्यमंत्री के संसदीय सलाहकार के रूप में राजेश तिवारी ओहदेदार हैं। बस्तर में सर्वशक्तिमान होने के बाद भी कांग्रेस के विधायकों व सांसदों की खामोशी कई तरह के सवाल खड़े कर रही है। इन छब्बीस महीनों में विधानसभा के कई सत्र आयोजित हो चुके हैं परंतु शायद एक बार ही बस्तर के किसी नारायणपुर विधायक मजबूर!विधायक ने इस मामले पर सवाल किया और उसका भी संतोषजनक जवाब सरकार नहीं दे पाई।

नारायणपुर विधायक मजबूर!
इस पूरे प्रकरण में नारायणपुर विधायक चंदन कश्यप की मजबूरी समझ से परे है। भाजपा सरकार के मंत्री केदार कश्यप को पराजित करके विधानसभा पहुंचने वाले चंदन कश्यप भी इस मुद्दे पर लगातार खामोश हैं। वे इस पर बात भी करना पसंद नहीं करते हैं। उनका कहना है कि यह सरकार और संगठन का विषय है। प्रश्न यह है कि अपने प्रतिद्वंद्वी को इस तरह से छोडऩा कहीं न कहीं उनकी कार्यप्रणाली पर संदेह पैदा करती

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