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‘‘प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना’’ से ऋण लेकर भावेश बना आत्मनिर्भर

  • क्षेत्र के बेरोजगारों के लिए बना प्रेरणा स्त्रोत

अक्कू रिजवी/ कांकेर। जिले के ग्राम हाराडुला निवासी भावेश अब आत्मनिर्भर बन चुका है, साथ ही 10 बेरोजगार युवकों को अपनी दुकान में रोजगार प्रदान कर उनके जीवन यापन में भी मदद कर रहा है। बेरोजगार युवक-युवतियों को स्वयं का रोजगार स्थापित कर आत्मनिर्भर बनाने के लिए शासन द्वारा अनेक योजनाएॅ संचालित की जा रही है। जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र द्वारा संचालित प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के अंतर्गत बेरोजगारों को ऋण दिया जाता है, जिससे वे अपना स्वरोजगार स्थापित कर सकें। चारामा तहसील के ग्राम हाराडुला निवासी भावेश बघेल कक्षा 10वीं तक की पढ़ाई कर बेरोजगार था, उनके पिता शिक्षक हंै, जिससे घर का खर्च चलता है, किन्तु पिता के कार्य का बोझ कम करने के लिए माता-पिता एवं परिवार के जिम्मेदारी उठाने और आत्मनिर्भर बनने के लिए स्वरोजगार की तलाश में इधर उधर भटक रहा था। भावेश ने जब बैंक आॅफ बड़ोदा शाखा-चारामा में ऋण के लिए गया तब वहां उसे शाखा प्रबंधक द्वारा जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र में संचालित प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम योजना की जानकारी दी गई। भावेश ने देर न करते हुए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम अंतर्गत ऋण लेने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। संपूर्ण प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात् बैंक आॅफ बड़ोदा शाखा-चारामा के माध्यम से 8 लाख रूपये का ऋण स्वीकृत किया गया। ऋण प्राप्त कर वह स्वयं का उद्योग गुरूकृपा ट्रेडर्स फेंसिंग जाली इण्डस्ट्रीज के नाम से स्थापित किया। उसके पश्चात् ग्राम-हाराडुला एवं आसपास के गांव की आवश्यकता अनुसार उसने जाली तार से संबंधित उद्योग खोलने का निर्णय लिया। स्वावलम्बी बनने की इच्छा रखने वाले भावेश ने अपने पिता के आमदनी का सहारा न लेते हुए स्वयं ही अपने दम पर कुछ करने की चाह में अपने परिवार के लिए स्वयं कुछ करने के सपने देख रखे थे और पढ़ाई के बाद रोजगार से जुड़ने का उसका यह फैसला अटल था। स्वयं के उद्योग में भावेश तार जाली मशीन स्थापित कर विभिन्न प्रकार के फंेसिंग जाली, तार इत्यादि का निर्माण कर आस-पास के गांव के साथ-साथ जिले में भी मार्केटिंग का कार्य कर रहा है। वे प्रतिमाह लगभग 50 हजार रूपये कमाता है एवं अपने दुकान में 10 बेरोजगारों को रोजगार प्रदान कर उनके जीवन यापन में भी मदद कर रहा है।
भावेश ने स्वयं का रोजगार मिलने के बाद अपने आय के कुछ हिस्से से परिवार को भी आर्थिक मदद करने लगा है, जिससे उसके परिवार की आर्थिक स्थिति में बढ़ोत्तरी भी हुई है। भावेश की स्वावलम्बी बनने की इस इच्छा ने उसे नया रास्ता दिखाया और आर्थिक रूप से सशक्त होकर जीवन में आगे बढ़ने के लिए उसके अन्दर आत्मविश्वास भी जगाया। वे क्षेत्र के बेरोजगार युवकों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गये हैं।

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