प्रांतीय वॉच

जंगल बचाने के लिए “जंगल मैन” राम नारायण यदु 30 साल से कर रहे हैं जंगल की देखरेख और सेवा

Share this
कमलेश रजक / मुंडा : बलौदा बाजार जिले में जंगल मैन के नाम से विख्यात धमनी निवासी रामनारायण यदु का जंगल बचाने में अहम योगदान है यह बलौदा बाजार जिले के ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन जंगल के लिए ही समर्पित कर रखा है। जंगल बचाने पेड़ लगाने और पेड़ों के प्रति उनके लगाव ने धमनी के जंगलों को एक नया जीवनदान दिया है। 1995 में ग्राम धमनी के युवा रामनारायण यदु जब अपने गांव के आसपास लगे जंगल को कटते हुए देखते थे तो उन्हें बड़ा दर्द होता था। बचपन से उन्हें जंगलों से ऐसा लगाव रहा कि उन्होंने अपने मन में जंगल बचाने का संकल्प ले लिया और अपने गांव में 15-20 युवाओं की टीम बनाकर जंगल बचाने का काम शुरू किया। आसपास के गांव से लोग धमनी जंगल में लकड़ी काटने आया करते थे और बड़े पैमाने पर जंगलों का विनाश कर रहे थे। हरे पेड़ों को काट देते थे। जंगल को तहस-नहस देखकर रामनारायण यादव की टीम ने लोगों को लकड़ी काटने से रोकना मना शुरू किया। उनकी टीम लगातार काम करती रही इससे लकड़ी काटने वाले लोगों ने परेशान होकर जंगल काटना कम कर दिया । उनका यह काम निरंतर चलता रहा इसी दरमियान 4 जनवरी 1998 को तत्कालीन वन मंडलाअधिकारी एवं वर्तमान में वन विभाग के प्रमुख राकेश चतुर्वेदी का धमनी आना हुआ। वह उनका कार्य देखकर काफी प्रभावित हुए और उनकी सेवा को देखते हुए गांव वालों की आम सहमति से उन्हें वन समिति का अध्यक्ष बनाया गया। इसी दरमियान रामनारायण यदु ने कटते हुए जंगलों को बचाने के लिए गांव में महिला कमांडो की टीम भी गठित की। जिसमें महिलाएं 3- 3 दिन की ड्यूटी करके जंगल बचाने के लिए दिन रात मेहनत करती और लाठी लेकर जंगल का वितरण करते रहती थी। रामनारायण यदु ने वन समिति का अध्यक्ष बनने के बाद गांव की समस्या को देखते हुए समिति की तरफ से गांव में डीजल चलित हालर मील लगवाया। उस समय तक गांव में बिजली नहीं पहुंची थी। हालर मिल लगने से गांव वालों को काफी सुविधा हुई और ढेकी से धान कूट कर चावल निकालने के बजाय हालरमील का चावल लोगों को मिलने लगा। यह गांव में आई खुशहाली का एक नया दौर था। वर्ष 2008-09 में राम नारायण यादव के नेतृत्व में लगातार काम करते हुए अवैध रूप से जंगल काटने वाले तस्करों से करीब 3000 कुल्हाड़ी जब्त की गई। और जंगल काटने पर पूर्णता प्रतिबंध लगाया गया। इसके लिए वे लगातार क्षेत्रवासियों को जागरूक करते रहे। बिना झगड़ा किए लोगों को जंगल काटने से मना करते थे और उनके सामने पहाड़ की तरह खड़े हो जाते थे। उनके कार्यों से प्रभावित होकर उन्हें वन विभाग द्वारा कोलकाता में हुए एक राष्ट्रीय अधिवेशन में भेजा गया। जहां पर वन प्रबंधन संबंधित कार्यशाला का आयोजन था। इस कार्यशाला में शामिल होकर राम नारायण यादव छत्तीसगढ़ के लिए प्रथम पुरस्कार जीतकर लाए, और उनके कार्य और भाषण से प्रभावित होकर कोलकाता में वन प्रबंधन के लिए उन्हें निर्विरोध राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। वर्ष 2015 में उनकी निस्वार्थ सेवा देखते हुए उन्हें चौकीदार घोषित कर दिया गया। वह भी अस्थाई तौर पर ।आज भी 58 साल की उम्र में वह चौकीदार के पद पर ही हैं लेकिन उन्हें कोई नियमित वेतन नहीं मिलता। उन्होंने अपना पूरा जीवन जंगल के लिए समर्पित कर दिया उन्होंने वन विभाग को 100 हेक्टेयर जंगल की फेंसिंग तार घेरा करने की मांग भी रखी। हाल ही में उनके द्वारा वन समिति के माध्यम से गौशाला का भी संचालन किया जा रहा है। जिसमें बड़े पैमाने पर दूध दूध उत्पादन किया जा रहा है। रामनारायण यदु जंगल के लिए पूरी तरह समर्पित है जो सुबह 3 बजे उठकर गौशाला में जाकर पहले गायों की सेवा करते हैं, दूध निकलवाते हैं। उसके बाद फिर जंगल चले जाते हैं। जंगल के ऐसे निस्वार्थ सिपाही को आज तक ऐसी कोई उपलब्धि हासिल नहीं हुई जो वन विभाग में कुछ वर्षों की सेवा करने के बाद लोगों को दे दी जाती हैं। रामनारायण यदु प्रदेश स्तरीय वन संरक्षण पुरस्कार के असली हकदार हैं। सरकार को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए
Share this

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *