रायपुर : केंद्र सरकार के कृषि संबंधी तीन विवादित कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन में छत्तीसगढ़ के किसान भी जुड़ गए हैं। प्रदेश के 100 से अधिक किसानों का एक जत्था सिंघु बॉर्डर पर पहुंचा हुआ है। उन लोगों ने छत्तीसगढ़ के किसानों की ओर से आंदोलन को समर्थन दिया है। छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के संयाेजक राजकुमार गुप्त ने बताया कि संगठन में बालोद जिले के महासचिव घनश्याम चंद्राकर और देवलाल नरेटी की अगुवाई में यह जत्था ट्रेन से दिल्ली पहुंचा है। इसमें बालोद, बेमेतरा, राजनांदगांव और दुर्ग जिले के किसान शामिल हैं। ये किसान आंदोलन को छत्तीसगढ के किसानों की ओर से समर्थन देने पहुंचे हैं। हांलाकि उन्होंने वहां कई दिनों तक रुकने की तैयारी कर रखी है।दिल्ली पहुंचे किसानों ने बताया, वे लोग निजी वाहनों से दिल्ली जाने की योजना बना रहे थे। समाचारों में लगातार देख रहे थे कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा में जगह-जगह किसानों के जत्थे को दिल्ली की ओर जाने से रोका जा रहा है। उसके बाद ट्रेन से जाना तय हुआ। सभी लोग 26 दिसम्बर को दिल्ली जाने वाली ट्रेन में बैठे। 27 की सुबह दिल्ली पहुंचकर वे लोग सिंंघु बाॅर्डर आ गए। छत्तीसगढ़ के किसान नेताओं ने आंदोलन के मंच से अपनी बात भी रखी। देवलाल नरेटी ने केंद्र के कृषि संबंधी कानूनों को काला कानून बताते हुए वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा, इन कानूनों को खत्म किए बिना बात नहीं बनेगी। छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के संयोजक राजकुमार गुप्त ने कहा, आंदोलन के कार्यक्रमों को उनका संगठन छत्तीसगढ़ में भी कर रहा है। केंद्र के कानूनों का विरोध जारी रहेगा।
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