भोपाल। प्रदेश में वर्तमान में तीन दर्जन से ज्यादा निजी विश्वविद्यालय संचालन हो रहा है। लगभग सभी निजी विवि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) अपूर्व कोर्स संचालित कर रहे हैं। एआईसीटीई कभी भी निजी विवि में छापामार की कार्रवाई करेगा। गड़बड़ी मिलने पर विवि अनुदान आयोग (यूजीसी) और मप्र सरकार निजी विवि को बंद तक कर सकेगा। प्रदेश के कई इंजीनियरिंग कालेज अब निजी विवि में तब्दील हो चुके हैं। वे एआईसीटीई कोर्स को संचालित करने के लिए मापदंडों का पालन नहीं कर रहे हैं। देशभर के निजी विवि की शिकायतें मिल रही हैं एआईसीटीई को प्रदेश के अलावा देशभर के निजी विवि की शिकायतें मिल रही हैं। इसलिए एआईसीटीई ने आदेश जारी कर कहा कि वे कभी निजी विवि में संचालित इंजीनियरिंग, फॉर्मेसी, एमबीए और अन्य कोर्स के मापदंडों को परखने के लिए निरीक्षण कर सकते हैं। कोई गड़बड़ी मिलती है, तो एआईसीटीई राज्य सरकार और यूजीसी को निजी विवि के खिलाफ एक्शन लेने या उन्हें बंद करने तक की अनुशंसा करेगा। एआईसीटीई की अनुशंसा पर निजी विवि को बंद करने की कार्रवाई कर सकता है। एआईसीटीई के आदेश मिलते ही सूबे में संचालित 37 निजी विवि के कुलाधिपतियों पर संकट दिखने लगा है। वे अपनी कमियों को दूर करने में जुट गए हैं। एआईसीटीई ने तर्क दिया है कि निजी विवि कोर्स संचालन में मापदंडों का पालन नहीं करते हैं, तो ऐसे विवि की डिग्री का कोई औचित्य नहीं हैं। हालांकि डिग्री को निरस्त करने का अधिकार यूजीसी को है। इसलिए सिर्फ यूजीसी ही ऐसे विवि की डिग्री के आवंटन पर रोक लगा सकती हैं। वहीं मप्र में निजी विवि विनियामक आयोग उन्हें बंद करने का अधिकार रखती है।
केंद्रीय सरकार द्वारा संचालित डीम्ड यूनिवर्सिटी और निजी विवि एआईसीटीई कोर्स का संचालन मापदंडों के मुताबिक नहीं करते हैं, तो उनका निरीक्षण कर अनुशंसा यूजीसी और राज्य सरकार को भेजी जाएगी। इसके बाद यूजीसी और राज्य सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
-अनिल सहस्त्रबुद्धे अध्यक्ष, एआईसीटीई

