प्रकाश नाग/केशकाल/विश्रामपुरी : केशकाल वनमंडल अंतर्गत विश्रामपुरी में चिड़िया मीतानों के लिए दिनांक 6 दिसम्बर को एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें प्रकृतिवादी रवि नायडू एवं संजय टंडन के अगुवाई में वनक्षेत्रों में चिड़िया देख कर उनकी पहचान करना सिखाया गया। कार्यशाला में केशकाल वनमंडल के अलग-अलग रेंज से चिड़िया मितान उपस्थित रहे। बता दें कि चिड़िया मितान एक ऐसा समूह है, जिसके सदस्य खासकर छोटे बच्चे होते हैं, जो पहले चिड़ियों का शिकार गूलल से किया करते थे। अभी इन्हीं बच्चों को चिड़ियों को संरक्षण एवं बचाने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। भारत में 1270 चिड़ियों की प्रजातियां पायी जाती हैं , उनमें से 300 से अधिक चिड़ियों की प्रजातियाँ छत्तीसगढ़ में मिलती हैं। इनकी संख्या धीरे-धीरे कम होते जा रही है और बहुत सी प्रजाति विलुप्ती के कगार पर आ पहुंची हैं। इन्हें बचाने का प्रयास करते हुए वन मण्डल केशकाल ने चिड़िया मितान का गठन किया है।कार्यक्रम में चिड़िया मितानों को चिड़ियों की विशेषताएं, उनकी क्या भूमिका है इस संबंध में विस्तार से प्रकाश डाला गया। साथ में मांझीनगढ़ के मारी क्षेत्र में पाए जाने वाली चिड़ियों को दूरबीन और कैमरा द्वारा पहचानने का प्रशिक्षण भी दिया गया। इसी क्रम में गुरु घासीदस केन्द्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर से आये इंटर्नस अतुल व निर्मल द्वारा छत्तीसगढ़ में पाये जाने वाले सांपों के बारे में सचित्र वर्णन किया गया, जिसमें कौन से सर्प विषेले हैं और कौन से नहीं हैं एवं सर्प दंस से बचाओ का प्रदर्शन करते हुए प्राथमिक उपचार कैसे किया जाना है संबंध में विस्तार से समझाया गया। कार्यक्रम के समाप्ति में चिड़िया मितानों ने चिड़ियों और जंगल को बचाने की प्रतिज्ञा लेते हुए अन्य लोगों को भी यह बातें बताने की इच्छा जताई।
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