प्रांतीय वॉच

कलेक्टर भगाओ के नारे के साथ आदिवासी समाज ने किया कलेक्ट्रेट का घेराव 

  • राज्यपाल के नाम पंद्रह बिंदुओं में सौंपा ज्ञापन ,कलेक्टर से मिलने अड़ गये 
किरीट ठक्कर / गरियाबंद : लॉक डाऊन की शिथिलता के साथ ही जिले में दो आंदोलन हो गये। दोनों आंदोलन जिला प्रशासन पर सवालिया निशान खड़ा करते हैं। दोनों आंदोलन मौत की पृष्ठभूमि पर जनआक्रोश का प्रगटीकरण है। दोनों आंदोलन में राजनीति नही है , बल्कि आधिकारिक असंवेदनशीलता और लापरवाही के प्रति स्वतः प्रगट हुआ आक्रोश है। ये दोनों आंदोलन इंगित करते हैं कि जिले में स्थानीय मुद्दों को लेकर सभी राजनैतिक दल निष्क्रिय और हाशिये पर है। पहला आंदोलन देवभोग तहसील कार्यालय में पदस्थ युवा क्लर्क शुभम पात्र की आत्महत्या के बाद हुआ। शुभम पात्र ने अपने सुसाईड नोट में अपनी आत्महत्या का कारण आधिकारिक प्रताड़ना को बताया था , जिसके बाद लिपिक वर्ग ने इस घटना की निंदा करते हुए उचित कार्यवाही की मांग की किन्तु नायाब तहसीलदार बीएल कुर्रे का निलंबन करने की बजाए जिला प्रशासन उसे सिर्फ इधर से उधर करता रहा। लिपिक वर्गीय संघ ने इसके विरुद्ध ना सिर्फ जिले में बल्कि प्रदेश स्तर पर धरना प्रदर्शन किया। दूसरे आन्दोल के रूप में आज शुक्रवार आदिवासी समाज का गुस्सा फूट पड़ा। दरअसल पिछले दिनों पांडुका के नजदीक ग्राम सडकड़ा में करंट लगने से एक ही आदिवासी परिवार के तीन लोगों की करंट लगने से हुई मौत के बाद उनके शवों के पोस्ट मास्टरम को लेकर राजिम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डॉ व्ही के हिरौंदीया ने जिस तरह नियमों का हवाला देते पीएम से इनकार किया वो अफसरशाही का अमानवीय चेहरा था। आदिवासी समाज इस घटना के बाद काफी आक्रोश में रहा। इस आक्रोश ने दूसरे आंदोलन की पृष्ठभूमि तैयार की। अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद जिला गरियाबंद के बैनर तले आज जिले के पांच सौ से अधिक आदिवासियों ने नारे बाजी करते हुए कलेक्ट्रेट का घेराव किया। नारे बाजी से स्पष्ट लग रहा था की स्थानीय आदिवासी कलेक्टर से नाखुश है वो सीधे तौर पर सार्वजनिक रूप से कलेक्टर को खवूआ घोषित कर रहे थे।
सर्व आदिवासी समाज के आंदोलन कारियों ने कलेक्टर भगाओ गरियाबंद बचाओ के नारे भी लगाये। अपनी पंद्रह सूत्रीय मांगों के ज्ञापन को सिर्फ कलेक्टर को देने आदिवासी अड़ गये। अंततः राज्यपाल के नाम 15 सूत्रीय ज्ञापन संयुक्त कार्यालय भवन के पोर्च में कलेक्टर छत्तरसिंह डेहरे को सौंपा गया। आदिवासी समाज ने अपने मांग पत्र में डॉ व्ही के हिरौंदीया का निलंबन , वन अधिकार अधिनियम क्रमशः संसोधित के तहत क्षेत्रफल की मान्यता और निरस्त किये दावा की सच्चाई से अवगत होकर बेदखल करने अभियान नियंत्रण की मांग , ग्राम सढ़ोली में मावली माता मंदिर के लिए स्थान आरक्षित करने , नगर के चौक चौराहों का नामकरण भीमराव अंबेडकर तथा वीर नारायण के नाम करने , शासकीय सेवा में अनुसूचित जनजातियों की सीधी भर्ती करने एसटी एस सी एक्ट के तहत लंबित प्रकरणों पर कार्यवाही करने जैसी मांग रखी है।
धरना प्रदर्शन के दौरान अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के संरक्षक पीएन कश्यप , महेंद्र नेताम , जिला अध्यक्ष उमेंदी कोर्राम ,महिला जिला अध्यक्ष लोकेश्वरी नेताम , सर्व आदिवासी समाज के जिलाध्यक्ष भारत दीवान , यशवंत सोरी , नीलकंठ ठाकुर , नरेंद्र ध्रुव , इंदल ध्रुव सहित सैकड़ों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग सक्रिय रहे।

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