(सुकमा ब्यूरो) बाल कृष्ण मिश्रा| बस्तर स्टील प्लांट का निजीकरण का फैसला बस्तर के हित में नहीं होगा. बस्तर में हम किसी बड़े कॉर्पोरेट को घुसने देना नही चाहते हैं. हमने पहले भी एस्सार और टाटा जैसे बड़े कॉर्पोरेट घरानों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है और वापस भेजा है. प्राईवेट कंपनियों के खिलाफ आगे भी लड़ाई जारी रहेगा. बस्तर मेंं प्राईवेट कंपनियो के आने से स्थानीय बेरोजगारोंं को भारी नुकसान होना पड़ेगा. उक्त बातें सीपीआई के पूर्व विधायक और आदिवासी महासभा के अध्यक्ष मनीष कुंजाम ने कही. इस दौरान सीपीआई के जिला सचिव रामा सोड़ी, एआईएसएफ के प्रदेश अध्यक्ष महेश कुंजाम, युवा नेता राजेश नाग समेत अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे.
मनीष कुंजाम ने कहा कि प्राईवेट सेक्टर मेंं आरक्षण के नियम लागू नहीं होते हैं. बस्तर आदिवासी बाहुल्य इलाका है. यहां पेशा कानून और पांचवी अनुसूची लागू है. बस्तर के लोगों ने स्टील प्लांट के लिए अपनी जमीनें दी हैं. इसके एवज में परिवार के सदस्यों को मुआवज़े के रूप में सरकारी नौकरी देने का वायदा किया गया था. लेकिन केन्द्र सरकार स्टील प्लांट को कर्पोरेट कंपनियोंं को सौंपने का निर्णय लिया है. इस फैसले से बस्तर के युवाओं के साथ धोखा किया जा रहा है. केन्द्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ सीपीआई समेत विभिन्न संगठन मिलकर इसका विरोध करेंगी. श्री कुंजाम ने कहा कि प्लांट का निजीकरण का लिंक बैलाडिला के खदानों से जुड़ा हुआ है. सरकार बैलाडिला के खदानों को अडानी ग्रुप को सौंपना चाहती है.