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सुकमा जिले के अंदरुनी क्षेत्रों में नदी-नालों को पारकर घर-घर पहुंच रही मलेरिया जांच दल*

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*जिला जनसंपर्क कार्यालय सुकमा* *समाचार* *बुलंद हौसलों से साकार हो रहा मलेरियामुक्त बस्तर अभियान का सपना ।

*सुकमा ।

जब हौसले बुलंद हों तो बड़ी से बड़ी बाधा भी रास्ता नहीं रोक सकती। सुकमा को मलेरियामुक्त बनाने का यही हौसला सीने में लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम के हौसले का इम्तिहान खुद कुदरत ने लिया, मगर चट्टानों से मजबूत इरादों को देख कुदरत भी हार मान गया। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मलेरियामुक्त बस्तर के सपने को साकार करने के लिए सुकमा जिले के कोंटा विकासखण्ड के अंदरुनी क्षेत्रों में आने वाली तमाम बाधाओं को पारकर स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर पहुंच रही है और लोगों का रक्त परीक्षण कर रही हैै। मलेरियामुक्त बस्तर अभियान के तहत मरईगुड़ा, गोलापल्ली, किस्टारम, बंडा और मेहता सेक्टर के प्रभारी डाॅ रुद्रमणि वैष्णव ने बताया कि छः सदस्यों का दल रविवार को मरईगुड़ा से किस्टारम के लिए मोटरसाईकिल में निकला और इस क्षेत्र के विभिन्न गांवों में पहुंचकर लोगों के स्वास्थ्य की जांच व उपचार के बाद बुधवार को दोपहर के बाद वापसी हुई। यह दल किस्टारम से 20 किलोमीटर दूर पोटकपल्ली, 15 किलोमीटर दूर टेटेमड़गू, 13 किलोमीटर दूर कोसमपाड़, 6 किलोमीटर दूर पल्लोड़ी, सात किलोमीटर दूर कासाराम, करीगुंडम और पलोड़ी पहुंचकर लोगों की मलेरिया जांच की। ग्रामीण सहायक चिकित्सक डाॅ. वैष्णव के साथ ही सुपरवाईजर श्री दीनदयाल बनसोड़, पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ता श्री बारसे रामबाबू व परस्ती चलपत्री, महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता अंजू सोढ़ी व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी राजेन्द्र वट्टी भी साथ थे। डाॅ. वैष्णव ने बताया कि मलेरिया जांच के इस अभियान के दौरान दल को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। नदी-नाले भरे रास्तों में सफर कर गांवों तक पहुंचना बहुत ही कठिन था, वहीं बारिश के कारण हुए कीचड़ से गाड़ियां भी फिसल रही थीं। गाड़ियों के पहियों में कीचड़ भर जाने के बाद गाड़ियों को चलाना बहुत ही मुश्किल हो जाता था, तब गाड़ियों को पैदल ही धक्का देकर आगे बढ़ाते थे और नदी-नाले मिलने पर गाड़ियों को धोकर आगे बढ़ते थे। बारिश के साथ ही घने हो चुके जंगलों में मिलने वाली एक से अधिक पगडंडी में रास्ता भटककर दूसरे रास्ते में आगे बढ़ने की घटनाएं भी घटीं। इन मुश्किल हालातों के कारण ये सफर बहुत ही थकाऊ हो जाता है, मगर यह थकान तब पूरी तरह दूर हो जाती थी, जब गांव में पहुंचने पर ग्रामीणों ने उत्साह के साथ अपना रक्त परीक्षण और उपचार कराया। इस क्षेत्र में कुल 3519 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया, जिनमें 47 लोगों में मलेरिया पाया गया। इन सभी का उपचार तत्काल प्रारंभ कर दिया गया। ग्रामीणों ने जांच दल के भोजन का प्रबंध भी किया और वापसी के दौरान जांच दल रास्ता न भटके, इसलिए ग्रामीण सायकल में इन्हें रास्ता दिखाने भी साथ आते रहे। ग्रामीणों से मिलने वाले इस स्नेह ने जांच दल का उत्साह और चुनौतियों से निबटने का हौसला बढ़ाया है।

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