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चालबाज चीन के आर्थिक षड्यंत्र का एक और शिकार श्रीलंका: श्रीलंका के अंदरूनी हालात खराब

चालबाज चीन के आर्थिक षड्यंत्र का एक और शिकार श्रीलंका: श्रीलंका के अंदरूनी हालात खराब)
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रायपुर | 07 अप्रैल | विस्तार वादी चीन के भयानक षडयंत्रों का शिकार एक और देश श्रीलंका हो गया है। श्रीलंका बहुत खराब आर्थिक स्थिति से गुजर रहा है। महंगाई उच्च स्तर पर पहुंच गई है, पेट्रोल ,डीजल उपलब्ध नहीं है जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के घरों को घेरकर वहां आंदोलन हो रहे हैं। भारत और श्रीलंका के आपसी संबंध पिछले दो दशकों से बहुत अच्छे नहीं रहे हैं। उसका एक बड़ा कारण श्रीलंका सरकार का चीन की तरफ गहरा झुकाव भी रहा है।
श्रीलंका चीन के षड्यंत्र और गहरी चाल में फंस कर अब कराहने लगा है, श्रीलंका ने पिछले दो दशकों में चीन को गले लगाना शुरू कर दिया था, चीन ने बड़ी परियोजनाओं में श्रीलंका में बहुत ही आर्थिक मदद कर उसे अपना आर्थिक गुलाम बना लिया था ,पर श्रीलंका अपने नए मित्र चीन की चालबाजीयों को समझ नहीं पाया कि चीन अपनी विस्तार वाली नीतियों को अमल में लाने के लिए श्रीलंका को लगातार अपने आर्थिक मोहपाष में बांधकर उसे गुलाम बनाते जा रहा था।
अब श्रीलंका सचमुच में फंस चुका है। श्रीलंका बहुत खराब आर्थिक हालातों से गुजर रहा है। श्रीलंका की खराब आर्थिक परिस्थितियों का कारण वैसे तो 50% चीन ही है, पर इसके अलावा बड़ी बड़ी परियोजनाओं में धन लगाना और कई महंगी परियोजनाओं में अनावश्यक पैसा खर्च करना तथा जनता के लिए अनेक लुभावनी नीतियों की घोषणा करना तथा अदूरदर्शी वित्तीय नीतियों को लागू करना भी बड़े और अपरिपक्व कारण रहे हैं। श्रीलंका की बुरी स्थिति में फंसने के बाद वहां की सरकार ने चीन से मदद की उम्मीद की थी पर चीन ने बड़ी चालाकी से अपना हाथ पीछे कर लिया है ।
चीन अब कोई मदद करने को तैयार नहीं है इसका बड़ा कारण चीन द्वारा दी गई बड़ी वित्तीय उधारी भी है जिसे वसूलने में चीन ज्यादा उत्सुक और चिंतित है। चीन आगे मदद करने को तैयार नहीं है। भारत के आर्थिक विश्लेषक बतलाते हैं कि श्रीलंका में एक बड़ी जनसंख्या तथा विचारक एवं वित्तीय सलाहकार पिछले कई वर्षों से भारत से श्रीलंका को दूर रहने की सलाह देते आए हैं, और चीन की तरफ हाथ बढ़ाने के लिए सरकार पर दबाव डालते रहें । लेकिन अब बुरे वक्त पर श्रीलंका सरकार तथा वहां की जनता को समझ में आ गया है कि चीन किसी भी भरोसे के लायक नहीं रहा है भारत ने मदद के लिए श्रीलंका की तरफ हाथ बढ़ाया एवं बड़ी मात्रा में पेट्रोल डीजल सप्लाई करने की बात कही है।
श्रीलंका निश्चित तौर पर भारत की तरफ बड़ी मदद की उम्मीद से ताक रहा है, उसे अब चीन से मदद की उम्मीद खत्म हो चुकी है। उल्लेखनीय है कि श्रीलंका की लड़खड़ाती और गहरे संकट में आई वित्तीय स्थिति केवल भारत या अन्य एक या दो देशों की मदद से सुधरने वाली नहीं है, भारत खुद एक विकासशील आर्थिक उभरती हुई शक्ति है और श्रीलंका को अमेरिका रूस तथा चीन की तरह बहुत बड़ी आर्थिक मदद नहीं कर सकता है। श्रीलंका को या तो एशियन डेवलपमेंट बैंक या अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से बड़ी राशि की मदद की जरूरत होगी, तब ही उसके हालात सुधर पाएंगे।
दूसरी तरफ बीबीसी न्यूज़ एजेंसी के अनुसार श्रीलंका सरकार तथा वहां की जनता का भरोसा पूरी तरह चीन पर से हट चुका है इन परिस्थितियों में भारत को आगे बढ़कर मदद करने का एक अवसर प्राप्त हुआ है जिससे वह चीन के चंगुल से बाहर आकर भारत के साथ फिर से विश्वास पूर्वक दोस्ताना हाथ बढ़ा सके। श्रीलंका सरकार यह समझ चुकी है कि उसकी इस बुरी आर्थिक स्थिति में लाने का कारण चीन की विस्तार वादी षड्यंत्र कारी नीतियां ही है और चालाक चीन ने बुरे समय में अकेला छोड़ कर उसे मदद करने से पीछे हट गया है।
संजीव ठाकुर ,चिंतक, लेखक, रायपुर छत्तीसगढ़
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