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MP की एक मात्र नगर पंचायत का चुनाव परिणाम, BJP-कांग्रेस को नहीं मिला बहुमत, निर्दलीयों का बोलबाला

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शिवपुरीः मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के निर्देश पर संपन्न हुए शिवपुरी जिले की नगर पंचायत नरवर के चुनाव परिणाम बुधवार शाम तक आ गए. मतगणना के बाद बीजेपी और कांग्रेस किसी को बहुमत नहीं मिला है. नरवर में निर्दलियों का बोलबाला रहा है. 15 पार्षदों के लिए हुए चुनाव में 6 सीटों पर निर्दलीय पार्षद विजय रहे, जबकि 4-4 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस तो एक सीट पर बीएसपी ने जीत दर्ज की है. जीते हुए प्रत्याशियों में से ही नगर परिषद के लिए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव होगा.

पार्षद चुनेंगे अध्यक्ष और उपाध्यक्ष 
नगर परिषद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का निर्वाचन अप्रत्यक्ष प्रणाली से होगा. इसके लिए चुने हुए पार्षद वोट करेंगे. बता दें कि नरवर नगर परिषद में चुने गए कुल 15 पार्षद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनेंगे. बीजेपी और कांग्रेस ने चार-चार सीटें जीती हैं, जबकि 6 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी जीते हैं, ऐसे में भाजपा और कांग्रेस के बीच अध्यक्ष पद के रस्साकशी तय मानी जा रही है. किस पार्टी का अध्यक्ष चुना जाएगा, इसका फैसला निर्दलीय पार्षदों पर टिका है.

हाईकोर्ट के आदेश पर हुए चुनाव 
दरअसल, शिवपुरी जिले की नरवर परिषद में चुनाव कराने के आदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने दिए थे. कोर्ट ने आदेश दिया कि दो महीने में नगर पंचायत के चुनाव कराने होंगे. यह चुनाव 2014 की स्थिति कराने के आदेश दिए गए थे. इस दौरान प्रदेश के मुख्य चुनाव आयुक्त बसंत प्रताप सिंह आनलाइन मौजूद रहे. जिसके बाद हाईकोर्ट ने नरवर नगर परिषद में चुनाव की घोषणा कर दी थी. हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के आदेश के चुनाव आयोग ने अधिसूचना जारी कर 6 मार्च को मतदान और इसके परिणाम 9 मार्च को घोषित किए जाने का ऐलान किया था.

किसने लगाई थी याचिका
नरवर के रहने वाले किसान ब्रजेश सिंह तोमर ने चुनाव कराने के लिए साल 2018 में ही हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. कोर्ट ने 2019 में ही चुनाव कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन इसपर अमल नहीं हुआ. इसके बाद किसान ने इसे कोर्ट के अवमानना बताते हुए फिर अदालत का दरवाजा घटखटाया, जिसके बाद हाईकोर्ट ने 8 फरवरी 2022 को चुनाव कराने के आदेश दिए.

पंचायत और निकाय चुनाव पिछले ढाई साल से ज्यादा समय से रुके हैं
बता दें कि मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव और नगरीय निकाय चुनाव पिछले दो साल से भी ज्यादा समय से रुके हुए हैं. पंचायतों में सरपंचों का पांच साल का कार्यकाल सात साल तक हो चुका है. जबकि निकायों की जिम्मेदारियां प्रशासनिक अधिकारी संभाल रहे हैं. ऐसे में नरवर में चुनाव कराने का फैसला अहम माना गया जिसके परिणाम भी आ चुके हैं.

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