बालोद। शहीद वीर नारायण सिंह ऐसे क्रांतिकारी नेता थे, जिन्होंने आदिवासी समाज की दशा और दिशा बदल दी और देश के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने बालोद जिले के राजाराव पठार में आयोजित वीर मेला एवं आदिवासी लोक कला महोत्सव को संबोधित करते हुए कही। राज्यपाल ने इस अवसर पर बाबा राजाराव पठार, कंकालिन माता, झामा माता और बूढ़ादेव की पूजा कर प्रदेश के सुख-समृद्धि की कामना की। उन्होंने शहीद वीर नारायण सिंह के स्मारक स्थल पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया।
राज्यपाल ने कहा कि बिरसा मुण्डा, गुण्डाधुर जैसे आजादी के महानायकों ने आजादी के आंदोलन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। युवाओं को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। जब देश आजाद हुआ तो देश के संविधान में अनुसूचित जनजातियों के संरक्षण के लिए विशेष प्रावधान किए गए। हमारे देश में करीब 12 करोड़ जनजातियोंं की जनसंख्या हैं, जिसमें से 75 अतिपिछड़ी जनजातियों का समूह है। शासन द्वारा उनके शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों के सशक्तिकरण के लिए पेसा कानून का भी प्रावधान किया गया है, जिसके तहत ग्राम सभा को विशेष अधिकार दिए गए हैं। साथ ही उनके संरक्षण के लिए राष्ट्रीय जनजाति आयोग एवं राज्य जनजाति आयोग बनाया गया है।
राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार पेसा कानून को लागू करने के लिए नियम बना रही है। राज्यपाल ने कहा कि कुछ ऐसे तत्व हैं जो यह चाहते है कि सड़कें और पुल-पुलिया न बनें। यदि सड़के नहीं बनेगी तो विकास का रास्ता कैसे खुलेगा। यदि नदी नालों पर पुलिया नहीं बनेंगी तो बीमार व्यक्तियों को हास्पिटल कैसे ले जाएंगे एवं बच्चे स्कूल कैसे जाएंगे। ऐसे तत्वों से हमें सावधान रहना चाहिए और विकास कार्यों में सहभागी बनाना चाहिए।
राजाराव पठार में आयोजित वीर मेला एवं आदिवासी लोक कला महोत्सव को संबोधित करते हुए कही। राज्यपाल ने इस अवसर पर बाबा राजाराव पठार, कंकालिन माता, झामा माता और बूढ़ादेव की पूजा कर प्रदेश के सुख-समृद्धि की कामना की। उन्होंने शहीद वीर नारायण सिंह के स्मारक स्थल पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया। सुश्री उइके ने कहा कि हमारे प्रदेश में कुछ क्षेत्र नक्सल समस्या से ग्रस्त हैं और कुछ युवा रोजगार और शिक्षा के अभाव में रास्ता भटक गए हैं, उन्हें मुख्य धारा से जोडऩा चाहिए। मैंने शासन से कहा है कि ऐसे समस्याओं के समाधान के लिए उन क्षेत्रों में स्थानीय जनता से समन्यव बना कर और उन्हें विश्वास में लेकर कार्य करें, उन्हें रोजगार और शिक्षा से जोड़ें। उन्होंने समाज प्रमुखों से आग्रह किया कि हम आपसी भेदभाव मिटाकर संगठित होकर कार्य करें और समस्याओं के समाधान का प्रयास करें।
राज्यपाल ने समाज से आग्रह करते हुए कहा कि कुछ ऐसी ताकतें हैं, जो हमारी संस्कृति को तोडऩे का प्रयास कर रही है, उनसे दूर रहें। हमें हमारी संस्कृति और परंपराओं को बचाना हैं। उन्होंने कहा कि सबकी अपनी-अपनी श्रद्धा होती है। सभी धर्मों के प्रति आदर रखें। इन सबसे हटकर विकास की बात करें, शिक्षा और स्वास्थ्य की बात करें। समाज के प्रति जागरूक रहें। जब समाज जागरूक होगा, तभी देश की प्रगति में अधिक से अधिक योगदान दे सकेंगे। मैंने जब से राज्यपाल पद का दायित्व संभाला है, तब से आम जनता की समस्याओं का समाधान करने का प्रयास कर रही हूं। कुछ दिनों पहले कुछ ग्रामीणजन पैदल चलकर राजभवन आये थे। मैंने प्रक्रिया से हटकर उन्हें अंदर बुलाया और उनकी बातों को सुनी। भविष्य में भी मैं सभी वर्गों के हितों के लिए और देश और प्रदेश की प्रगति के लिए कार्य करती रहूंगी।
इस अवसर पर राज्यपाल को आयोजन समिति द्वारा स्मृति चिन्ह दिया गया। कार्यक्रम को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष श्री नंदकुमार साय एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग उपस्थित थे।