रायपुर : संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से भारत बंद का आवाहन किया है। इधर राजधानी समेत आसपास जिलों में भारत बंद का असर नहीं है। दुकानें पूरी तरह खुली हुई। आवागमन बाधित नहीं है। दूसरी ओर राजधानी के बूढ़ापारा धरना स्थल में किसान संगठन के नेता जुटे हुए हैं। वे भारत बंद के समर्थन में प्रदर्शन किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेताओं का कहना है कि भारत बंद का प्रदेश के सभी किसान संगठनों ने अपना समर्थन दिया है।
वहीं, कांग्रेस पार्टी ने भी भारत बंद को समर्थन किया है। नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार के तीन कृषि कानून के विरोध और कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की वैधानिक गारंटी का कानून बनाने के लिए है। छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम, छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते ने कहा कि किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ देशव्यापी किसान संघर्ष के 10 माह पूरे होने जा रहे हैं।
कोरोना संकट के दौरान किए गए दमनात्मक हमले भी इस आंदोलन की धार को कुंद नहीं कर पाए। मोदी सरकार ने जिस तरह श्रम कानूनों को निरस्त कर देश के मजदूरों को बंधुआ गुलामी की और धकेलने वाली चार श्रम संहिता को मजदूरों पर थोपा है। उसके कारण अब यह आंदोलन मजदूर-किसान आंदोलन के रूप में विकसित हो रहा है, जिसका लक्ष्य इस देश को कारपोरेट गुलामी के चंगुल से बचाना है।
यह आंदोलन हमारी अर्थव्यवस्था को कारपोरेटों द्वारा हथियाने के खिलाफ तथा राष्ट्रीय अभियान के केंद्र में आ गया है। किसान नेताओं ने अपने संयुक्त बयान में कहा है कि यदि इस देश की आम जनता और विशेषकर मजदूरों और किसानों की क्रय शक्ति नहीं बढ़ती और इसके लिए मोदी सरकार इस आंदोलन द्वारा उठाई गई जायज मांगों को नहीं मानती, तो घरेलू मांग में और ज्यादा गिरावट आएगी तथा देश की अर्थव्यवस्था और ज्यादा संकट में फंसेगी।
इस संकट से अडानी-अंबानी तो मालामाल होंगे, लेकिन करोड़ों लघु व्यवसायी बर्बाद हो जाएंगे। इसलिए किसान आंदोलन ने प्रदेश के मजदूर, व्यापारी, ट्रांसपोर्टर, व्यवसायी, छात्र, युवा, महिला संगठनों तथा सभी सामाजिक आंदोलनों से व राजनैतिक पार्टियों से विशेष अपील की हैं कि कल बंद के दिन किसानों व मजदूरों की मांगों का समर्थन करें।