नई दिल्ली : सुपरटेक एमेराल्ड केस में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है. कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि सुपरटेक के ट्विन टॉवर्स को गिराया जाएगा. सुपरटेक के ये दोनों ही टॉवर 40-40 मंजिला हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ये टॉवर नोएडा अथॉरिटी और सुपटेक की मिलीभगत से बने थे. कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा है कि सुपरटेक अपने ही पैसों से इनको तीन महीने के अंदर-अंदर तोड़े साथ ही खरीददारों की रकम ब्याज समेत लौटाए.
दोनों टॉवर्स में 1-1 हजार फ्लैट्स
40-40 मंजिला इन सुपरटेक के टॉवर्स में 1-1 हजार फ्लैट्स हैं. कोर्ट ने कहा कि ये टॉवर्स नियमों की अनदेखी करके बनने दिए गए. कोर्ट ने कहा है कि जिन भी लोगों ने इन सुपरटेक ट्विन टॉवर्स में फ्लैट लिए थे उनको 12 फीसदी ब्याज के साथ रकम लौटाई जाएगी. कहा गया है कि टॉवर्स को तोड़ते वक्त अन्य बिल्डिंग्स को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह ने इस मामले (Noida emerald court demolition case) की सुनवाई की.
कोर्ट ने कहा – टॉवर्स मिलीभगत का नतीजा
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये फ्लैट्स बिल्डर और नोएडा अथॉरिटी की ‘नापाक’ मिलीभगत की वजह से बने, जिनकी मंजूरी योजना का RWA तक को नहीं पता था. कोर्ट ने कहा कि सुपरटेक के T16 और T 17 टॉवर्स को बनाने से पहले फ्लैट मालिक और RWA की मंजूरी ली जानी जरूरी थी. साथ ही जब इस नोटिस निकाला गया कि न्यूनतम दूरी की आवश्यकताओं के नियम को तोड़ा गया है तो भी कोई एक्शन नहीं लिया गया. कोर्ट ने माना कि बिल्डर ने मंजूरी मिलने से पहले ही काम शुरू कर दिया था, लेकिन फिर भी नोएडा अथॉरिटी ने कोई एक्शन नहीं लिया. कोर्ट ने कहा कि बिल्डर और अथॉरिटी में साठगांठ थी. कहा गया, ‘प्रक्रिया के हर स्तर पर भ्रष्टाचार था. शहर में रिहायश की जरूरत है लेकिन पर्यावरण के साथ तालमेल बनाकर यह होना चाहिए.