- मुख्यमंत्री के आग्रह पर भी केंद्र ने नहीं बदला अपना फैसला
- कोयला एवं खान मंत्री प्रहलाद जोशी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर दी जानकारी
रायपुर : केंद्र सरकार ने डीएमएफ फंड के अध्यक्ष को लेकर राज्य सरकार को स्थिति स्पष्ट कर दी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आग्रह के बाद केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि डीएमएफ फंड का अध्यक्ष प्रभारी मंत्री को नहीं बनाया जा सकता। कलेक्टर ही इसके मुखिया रहेंगे। केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री प्रल्हाद जोशी ने मुख्यमंत्री बघेल को पत्र लिखकर पुरानी व्यवस्था लागू करने को कहा। यानी अब राज्य सरकार को अपने प्रभारी मंत्रियों को डीएमएफ फंड के अध्यक्ष पद से हटाना पड़ सकता है। बता दें खनन प्रभावित लोगों की मदद और विकास कार्यों के लिए डीएमएफ फंड बनाया गया था। इसमें खनन से प्राप्त होने वाली आय का कुछ हिस्सा फंड में जमा किया जाता था। इसका अध्यक्ष कलेक्टरों को बनाया गया था। खनन प्रभावित क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को शासी परिषद में सदस्य बनाया गया था। इसे लेकर गड़बडिय़ों की शिकायत मिल रही थी। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद कलेक्टर के स्थान पर प्रभारी मंत्रियों को इसका अध्यक्ष बनाया गया था। इस पर केंद्र ने 23 अप्रैल 2021 को आदेश जारी कलेक्टर को ही अध्यक्ष बनाए जाने की बात कहीं थी। इसके बाद मुख्यमंत्री बघेल ने 2 जून को केंद्रीय कोयला एवं खनन मंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि डीएमएफ की शासकीय परिषद के अध्यक्ष के रूप में जिले के प्रभारी मंत्री को अनुमति दी जाए। इस केंद्रीय मंत्री ने खारिज करते हुए लिखा है, 23 अप्रैल के आदेश को यथाशीघ्र लागू किया जाए।
यह कहकर किया खारिज
केंद्रीय मंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि खान मंत्रालय ने 23 अप्रैल को यह आदेश जारी किया हे कि जिले के प्रशासनिक प्रमुख डीएमएफ के अध्यक्ष के रूप में कार्य करेंगे और जिले में खनन प्रभावित क्षेत्रों के चयनित प्रतिनिधियों को डीएमएफ के उद्देश्यों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए देश के सभी खनन प्रभावित जिलों में शासी परिषद के सदस्यों के रूप में शामिल किया जाएगा। इससे डीएमएफ के अंतर्गत निधि का सुचारु प्रबंधन सुनिश्चित होगा और डीएमएफ के अंतर्गत परियोजनाओं के निष्पादन में जन प्रतिनिधियों की समस्याओं का भी समाधान होगा।