कमलेश रजक/मुंडा : छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 1 जुलाई 2021 से पूरे प्रदेश में रोका-छेका अभियान की शुरूआत की गई इसके तहत शहर व गांव के सार्वजनिक स्थानों पर विचरण कर रहे बेसहारा मवेशियों को घर गोठान या कांजी हाउस में रोककर रखना है, ताकि वह किसानों के खरीफ फसलो को नुकसान न पहुंचा सके। जोर-शोर के साथ शुरू किए गए इस अभियान में बलौदाबाजार विकासखण्ड के ग्राम पंचायत डोटोपार गिन्दोला धौंराभाठा, लवनबंन लाहोद, तिल्दा कारी खम्हारडीह कुम्हारी सहित आसपास के विभिन्न पंचायतों में रोका छेका अभियान पूरी तरह से फ्लाप साबित हो रहा है।आवारा मवेशी गोठान में कम सड़को, खेतों में ज्यादा नजर आ रहे है। मवेशियों के कारण ही आए दिन सड़कों पर दुर्घटना होना आम बात हो गई है वही, इस वर्ष धान बोनी के समय अधिक बारिश होने से धान का बीज सड़ गया जिसकी वजह से अधिकांश किसानों को दूसरी बोवाई करना पड़ रहा है। इसके साथ ही जो किसान पहले से धान की बुवाई कर लिये है उनकी धान को आवारा मवेशी रौंदकर, खाकर नुकसान पहुंचा रहे है। छत्तीसगढ़ सरकार कि रोका छेका अभियान की सच्चाई जानने के लिए हमारे इस प्रतिनिधि कमलेश रजक ने अंचल के गांवो का दौरा किया तो खेतों में दिखाई दे रहे मवेशी को देखने पर साफ तौर पर दिख रहा है कि बलौदाबाजार के अधिकांश विकासखण्ड में रोका-छेका अभियान पूरी तरह से फ्लाप साबित हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि अधिकतर ग्राम पंचायतों में मवेशियों को रोका नहीं जा रहा है। जिन गांवों में गौठान बन भी गए है, वहाँ चारा एवं पानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, तथा चरवाहे की नियुक्ति भी नहीं की गई है इससे भी समस्या बनी हुई है। मवेशी मालिक गाय, बैल, भैंस को खुला छोड़ दे रहे हैं जिससे किसानों की खेती को नुकसान पहुंचा रहे है। अंचल के गांवो में धान बोवाई का काम कर लिए है, कुछ लोग अभी भी कर रहे है। धान भी अंकुरित होकर निकल रहे है, ऐसे में मवेशियों को खुला छोड़ देने से धान की फसल को नुकसान पहुंचा रहे है। किसान मवेशियों को अपने-अपने खेत से हटाते हटाते परेशान हो गए है।अधिकांश ग्राम पंचायते भी छत्तीसगढ़ शासन की महत्वकांक्षी योजनाओं की रोका छेका योजना में रूचि नहीं ले रही है और ना ही शासन-प्रशासन रुचि लेते दिखाई दे रहे हैं।
फेल होता नजर आ रहा रोका-छेका अभियान, खेतों में दिख रहे आवारा मवेशी बिना फंड के सरकार ने झोका प्रशासनिक अमला
