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आचार्य रमाकान्त शर्मा युगपुरूष थे: जैन

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  • सरस्वती शिशु मंदिर ने अपने अध्यक्ष की स्मृतियों को श्रद्धांजलि सभा में याद किया
  • छुईखदान में वक्ताओं ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि
छुईखदान। स्थानीय राजा ऋतुपर्ण किशोर दास सरस्वती शिशु मंदिर छुईखदान में कल 14 जून  को संस्था के अध्यक्ष, शिक्षाविद और वरिष्ठ साहित्यकार स्वर्गीय आचार्य रमाकान्त शर्मा जी की स्मृति में कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन  किया गया । श्रद्धांजलि कार्यक्रम की शुरूआत स्व. आचार्य रमाकान्त शर्मा जी तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर उपस्थित लोगों द्वारा पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुआ । श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए सरस्वती शिशु मंदिर के व्यवस्थापक और वरिष्ठ भाजपा नेता राजकुमार जैन ने  पंडित रमाकान्त शर्मा को युगपुरुष की संज्ञा देते हुए  उन्हें इतिहास और वर्तमान का सच्चा चिंतक  बताया । उन्होंने शर्मा जी की संस्था के संथापक सदस्य से लेकर उनके अध्यक्षीय कार्यकाल की सराहना की । श्री जैन ने कहा कि छुईखदान में सरस्वती शिशु मंदिर रूपी पौधे को सींच कर उसे विशाल वृक्ष के रूप में परिवर्तित करने में उनका योगदान अतुलनीय है जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता । उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि शिशु मंदिर को मरणोपरांत भी शर्मा जी का आशीर्वाद और संरक्षण मिलता रहेगा ।
सरस्वती शिशु मंदिर समूह के जिला प्रतिनिधि राजेश ताम्रकार (गंडई) ने शर्मा जी के एक शिक्षक के रूप में दिए गए शिक्षा और संस्कार को याद किया तथा एक शिक्षक के रूप में गंडई नगर में उनके शिक्षकीय लोकप्रियता को स्मरण किया ।नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष शांतिलाल सांखला ने उन्हें मातृभूमि के लिये मर मिटने वाला सच्चा सेवक बताते हुए कहा कि छुईखदान के विकास के लिए वे किसी निर्वाचित जनप्रतिनिधि से भी ज्यादा चिंतित रहते थे । वे नगर के सच्चे सेवक थे । सरस्वती शिशु मंदिर के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता शिवेन्द्र किशोर दास ने उन्हें 20 वी और 21 वीं सदी का महान विद्वान बताया । उन्होंने कहा कि 1999 में जब छुईखदान में रुद्र महायज्ञ हुआ तो वाराणसी के संस्कृत विद्वानों और यज्ञ आचार्यो ने उनके शुद्ध संस्कृत उच्चारण को देखकर न केवल यज्ञ के आचार्य के रूप में अपने साथ शामिल किया बल्कि उन्हें आचार्य की उपाधि भी प्रदान किया । वे छुईखदान गोलीकांड के साक्षी थे तथा इस घटना से आजीवन आहत रहे ।
पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष और सरस्वती शिशु मंदिर के कोषाध्यक्ष  रावलचंद कोचर ने कहा पंडित जी संयमित और अनुशासित जीवन जीने वाले व्यक्तित्व थे । वे सरस्वती शिशु मंदिर छुईखदान के प्रमुख मार्गदर्शक थे तथा उनके अध्यक्षीय कार्यकाल में संस्था ने काफी तरक्की की है ।नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष गिरिराज किशोर दास ने उन्हें ज्ञान का भंडार बताते हुए कहा कि उनका निधन एक युग का अवसान है । इतिहास की बहुत सी जानकारी उनके साथ ही लुप्त हो गयी । प्रेरणा के अध्यक्ष अशोक चन्द्राकर ने कहा कि आचार्य रमाकान्त शर्मा जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे और अपनी विलक्षण प्रतिभा का उन्होंने समाज के लिये भरपूर उपयोग किया था । लम्बे समय तक शिक्षकीय दायित्व, हिन्दी साहित्य समिति छुईखदान का अध्यक्ष, शिक्षविद और साहित्यकार के रूप में उन्होंने छुईखदान को पृथक पहचान दिलाई । आज से लगभग 50 वर्ष पूर्व उन्होंने छुईखदान जैसे छोटे से कस्वे में हिन्दी साहित्य समिति की रजत जयंती के अवसर पर स्मारिका का प्रकाशन और अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन कर इतिहास रच दिया था । संस्था की प्राचार्य श्रीमती मीरा महोबिया ने शर्मा जी द्वारा संस्था को दिए गए अविस्मरणीय योगदान को याद करते हुए कहा कि संस्था के संचालन में उनका सुदीर्ध अनुभव बहुत काम आया तथा शिक्षक शिक्षिकाओं को उनके अध्यापन अनुभव और प्रशासनिक अनुभव से बहुत कुछ सीखने को मिला ।
कार्यक्रम का धाराप्रवाह और काव्यमय संचालन राजनांदगांव के वरिष्ठ पत्रकार, हिन्दी साहित्य समिति छुईखदान के अध्यक्ष और शर्मा जी के बेहद करीबी वीरेन्द्र बहादुर सिंह ने किया तथा आभार प्रदर्शन संस्था के प्रधानाचार्य देवकरण साहू ने किया । इस अवसर पर शिशु मंदिर के शिक्षक प्रवीण कुमार डे, नवीन चन्द्राकर, कविता सिंह, कार्तिक मेश्राम, वर्षा महोबिया, कल्पना सोनी, संगीता महोबिया, वेमलता देवांगन, प्रीति ऊके,प्रियंका ऊके, दीपक यादव, खिलावन सेन, टिकेश्वरी कुम्भकार, नेहा h चंदेल, खिलेश्वरी यादव समेत सरस्वती शिशु मंदिर के प्रमुख दानदाता और कार्यकारणी के सदस्य उपस्थित थे ।
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