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महिला एवं बाल विकास विभाग की सक्रियता से बाल विवाह को रोकने में मिली कामयाबी

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  • बाल विवाह जैसे कुरीतियों के रोकथाम के लिए लोगों को किया गया जागरूक

आफताब आलम/बलरामपुर : विकासखण्ड शंकरगढ़ के ग्राम चिरई में बाल विवाह की पूरी तैयारी हो चुकी थी। जहां 15 वर्षीय बालिका अनुराधा पैंकरा से सामाजिक रीति अनुसार विवाह करने के लिए ग्राम नवाडीहकला से लड़का पक्ष के द्वारा परिजन शादी तय करने आए हुए थे। जानकारी प्राप्त होने पर महिला बाल विकास विभाग, पुलिस एवं पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समिति के अध्यक्ष व सदस्यों के संयुक्त प्रयास से बाल विवाह का रिश्ता बनने से रोका गया। रिश्ता बनने से पहले ही दोनों परिवारों को बाल विवाह की जानकारी एवं दण्ड व जुर्माने से अवगत कराते हुए समझाइश देकर विवाह को रोका लिया गया। महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा लड़का और लड़की दोनों पक्ष के पालकों को बाल विवाह के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई। दोनों पक्षों ने सहमति देते हुए बालक और बालिका की निर्धारित उम्र पूर्ण होने पर ही विवाह सम्पन्न करने के लिए सरपंच व ग्रामवासियों के समक्ष कथन अभिलिखित किया। साथ ही विभागीय अधिकारियों ने उन्हें बताया कि बाल विवाह कराने पर उन पर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत कार्यवाही की जायेगी। टीम द्वारा बालिका के परिजनां को समझाईश दी गई कि बालिका का बाल विवाह कानूनन रूप से अपराध है, 18 वर्ष से कम उम्र के किसी भी बालिका का विवाह करना अपराध की श्रेणी में आता है, विवाह में शामिल पंडित, बाजा वाले, टेंट वाले, बाराती, घराती सहित पूरे नाते-रिश्तेदार को सजा हो सकती है। कम उम्र में विवाह होने पर लड़की को शारीरिक तथा मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

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