प्रांतीय वॉच

हमें ऐसी षिक्षा की आवष्यकता है जो आज की युवा पीढ़ी को संस्कार युक्त राष्ट्र भक्ति से ओत-प्रोत व कुषल बना सके

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तिलकराम मंडावी/ डोंगरगढ़। शासकीय नेहरू कॉलेज में विद्यार्थियों के चेतना विकास व मूल्य षिक्षा प्रदान करने हेतु मध्यस्थल दर्षन सह अस्तित्ववाद प्रणेता नागराज मानवीय षिक्षा संस्थान अछोटी रायपुर के तत्वाधान में तीन दिवसीय षिविर का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के उद्देष्य पर प्रकाष डालते हुए प्राचार्य डॉ. केएल टांडेकर ने कहा कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली अंग्रेजों की बनाई शिक्षा प्रणाली है। जो पूरी तरह एकांगी है। इससे छात्र पढ़ाई पूरी होते ही नौकरी के लिए प्रयास करता है। यह शिक्षा पद्धति उसे स्वावलंबी नहीं बनाती। शिक्षा पद्धति से आज की युवा पीढ़ी को संस्कार नहीं मिले। जिससे व्यक्ति भारतीय संस्कृति को भूल सा रहा है। हमारा राष्ट्रीय चरित्र शून्य है। हमें ऐसी षिक्षा की आवष्यकता है जो आज की युवा पीढ़ी को संस्कार युक्त राष्ट्र भक्ति से ओत-प्रोत व कुषल बना सके। उद्देष्य को ध्यान में रखते हुए षिविर का आयोजन किया गया है। ताकि विद्यार्थी का चरित्र सुदृढ़ हो सके तथा वह देश समाज के लिए अपनी जिम्मेदारी पूरी कर सके। प्रबोधक व षिक्षक अविनाष बारले व कृश्ण कुमार पटेल ने छात्र-छात्राओं को चेतना विकास मूल्य षिक्षा अर्थात जीवन विद्या की जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान षिक्षा प्रणाली में षिक्षा मंे कौषल विकास को अधिक फोकस किया गया है। प्रबोधक गरियाबंद के प्रधान पाठक कृश्ण कुमार पटेल, उच्च वर्ग षिक्षक महासमुंद अविनाष बारले व नेहरू कॉलेज की पूर्व छात्रा किरण नरेडी के सहयोग रहा। युवा पीढ़ी तनाव से गर्त में जा रही- हमारे युवा पीढी तनाव, परिवार में टूटने मानवीय मूल्यो की कमी इत्यादि समस्याओं के गर्त में चले जा रहे है और समस्याओ के समाधान निकालने में असमर्थता परिलक्षित होती है। जिसके विकल्प में आज नई षिक्षानीति में षिक्षा का मानवीयकरण में मूल्य षिक्षा को प्राथमिकता के क्रम में स्थान दिया गया है। चेतना विकास मूल्य शिक्षा के अंतर्गत मुख्य रूप से मानव का अध्ययन है, जिसके अंतर्गत किसी भी बात को तक की कसौटी निरीक्षण, परीक्षण, सर्वेक्षण, के आधार पर जांचते हुए सही समझ के साथ जीने का प्रस्ताव प्रस्तुत करता है। जैसे मानव क्या है?
षिकायत मुक्त संबंध और अभाव मुक्त परिवार की स्थिति को प्राप्त कर सकता है- मानवीयतापूर्ण आचरण, अस्तित्व, जीवन इत्यादि समझ की वस्तु है। जिन्हे समझकर समझपूर्वक मानव कार्य और व्यवहार में अग्रसर होता है, तो वह निष्चित ही अपने लक्ष्य षिकायत मुक्त संबंध और अभाव मुक्त परिवार की स्थिति को प्राप्त कर सकता है, जो निरंतर सुखी होने का आधार है। उन्होने चेतना विकास द्वारा षिक्षा के तरीको पर जानकारी देते हुए कहा कि मानव चेतना अर्थात सार्वभौम मानवीय आचरण, मानव की मानव के रूप में पहचान करना, परंपरागत मूल्य षिक्षा, षिक्षा का मानवीकरण अर्थात मानव का अध्ययन, सार्वभौम व्यवस्था की पहचान करना आदि विधियां है।
भयमुक्त वातावरण बनानें दी प्रेरणा- चेतना विकास मूल्यो में षिक्षा से व्यक्ति में समाधान अर्थात क्या, क्यों, कैसे कितना का उत्तर स्वयं पा लेना अर्थात समस्याओं से मुक्ति, परिवार में समृद्धि अर्थात किसी भी वस्तु की कमी न होना अर्थात पर्याप्तता, समाज में भयमुक्त वातावरण अर्थात आतंक, हिंसा आदि का अभाव, प्रकृति मंे सहअस्तित्व अर्थात सभी इकाईयो में माता-पिता के प्रति आदर एवं कृतज्ञता होना। समापन अवसर पर समस्त छात्राओं ने षिविर में बतायी गई बातो एवं अनुभवो पर अपने विचार व्यक्त करते हुए उक्त षिविर से उन्हें क्या-क्या लाभ मिले व उनके जीवन में क्या परिवर्तन आनें षुरू हुए इसकी जानकारी दी।

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