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कोयला चोरी में ED का ऐक्शन, झारखंड में 18 जगहों पर छापेमारी; क्या थी वजह

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झारखंड में ईडी ने बड़ा ऐक्शन लिया है। ईडी की रांची जोनल ऑफिस ने प्रदेशभर में 18 जगहों पर छापेमारी की है। ईडी ने यह छापेमारी कोयला चोरी और स्मगलिंग के कई बड़े मामलों में की है। इसमें अनिल गोयल, संजय उद्योग, एलबी सिंह और अमर मंडल का नाम शामिल हैं। प्रदेशभर में कोयला चोरी से सरकार को सैकड़ों करोड़ रुपए का वित्तीय नुकसान हुआ है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अनिल गोयल, संजय उद्योग, एल बी सिंह और अमर मंडल के नाम वाली संस्थाओं के ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है। सूत्रों ने बताया कि इस मामले में बड़े पैमाने पर कोयला चोरी शामिल है, जिसके परिणामस्वरूप सरकार को सैकड़ों करोड़ रुपये का भारी वित्तीय नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल में कोयले के कथित अवैध खनन, परिवहन और भंडारण की जांच के तहत दुर्गापुर, पुरुलिया, हावड़ा और कोलकाता जिलों में लगभग 24 परिसरों की तलाशी ली जा रही है।

धनबाद के बड़े कोयला कारोबारी एलबी सिंह(लालबहादुर सिंह)समेत झारखंड-बंगाल के दर्जन भर से अधिक कोयला कारोगारियों के ठिकाने पर प्रर्वतन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी चल रही है। शुक्रवार सुबह की ईडी की अलग अलग टीम कोयला कारोबारियों के ठिकानों पर पहुंची और कार्रवाई शुरू की। फिलहाल ईडी की ओर से मामले कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है लेकिन जिस स्तर पर कार्रवाई चल रही है उससे बड़े खुलासे की उम्मीद है।

धनबाद में एलबी सिंह और उनके भाई कुम्भनाथ सिंह सरायढ़ेला स्थित देव विला एवं झरिया शमिला बहाल में स्थित पुराने घर में भी छापेमारी चल रही है। इसके अलावा संजय खेमका, अनिल गोयल के ठिकानों पर भी ईडी की टीम पहुंची है। अब तक की जानकारी के अनुसार झारखंड के 18 और बंगाल के लगभग 22 ठिकानों पर छापेमारी हो रही है। धनबाद,दुर्गापुर, हावड़ा, कोलकाता और पुरुलिया में कार्रवाई की सूचना है। कोयले के अवैध कारोबार से लेकर मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा मामला बताया जाता है।

एलबी सिंह की कंपनी देवप्रभा बीसीसीएल में आऊटसोर्सिंग पैच में खनन करती है। वहीं अन्य कोल ट्रेडिंग, भट्ठा संचालक हैं। अंदरखाने जो सूचना है उसके अनुसार कोयले के अवैध कारोबार के खिलाफ ईडी ने होमवर्क कर कारोबारियों के ठिकानों को खंगालन रही है। कोयला क्षेत्र में कोयला तस्करी में पहले से आऊटसोर्सिंग कंपनियों और भट्टा संचालकों पर आरोप लगते रहे हैं। संकेत यहां तक है कि ईडी की जांच की आंच अफसरों तक भी पहुंच सकती है।

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