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छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति स्थापना की मांग पर क्रांति सेना का जोरदार कदम, राजकिशोर नगर स्मृति वन मोड़ का नाम छत्तीसगढ़ महतरी के नाम पर किया जाये-

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छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति स्थापना की मांग पर क्रांति सेना का जोरदार कदम, राजकिशोर नगर स्मृति वन मोड़ का नाम छत्तीसगढ़ महतरी के नाम पर किया जाये-

बिलासपुर।
छत्तीसगढ़ की अस्मिता, संस्कृति और पहचान को मजबूत करने के लिए लगातार संघर्षरत छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने शहर में छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा स्थापना को लेकर मोर्चा खोल दिया है। इसी कड़ी में संगठन के बिलासपुर इकाई ने आज जोन क्रमांक 07 के आयुक्त को ज्ञापन सौंपकर राजकिशोर नगर स्थित स्मृति वन मोड़ में छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा स्थापित करने की मांग रखी।

छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के जिला संयोजक अनिल कुमार पाली ने कहा कि जिस प्रकार भारत माता हमारे देश का प्रतीक है, उसी प्रकार छत्तीसगढ़ महतारी हमारे राज्य की पहचान और संस्कृति का प्रतीक है। नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने और उन्हें छत्तीसगढ़ की मातृभूमि के महत्व से अवगत कराने के लिए यह मूर्ति स्थापना बेहद जरूरी है।

इस अवसर पर जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के जिला अध्यक्ष शैलू ठाकुर ने कहा कि छत्तीसगढ़ की भाषा, संस्कृति और परंपराएं निरंतर दबाई जा रही हैं। ऐसे समय में छत्तीसगढ़ महतारी का प्रतीक स्थापित करना न केवल सम्मान की बात है, बल्कि यह हमारी अस्मिता की रक्षा का प्रतीक भी बनेगा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना राज्य की पहचान, भाषा, संस्कृति और रोजगार की लड़ाई को जमीन पर उतारकर लड़ रही है और इसी क्रम में यह पहल की जा रही है।

छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के जिला उपाध्यक्ष संजू भोयरा ने कहा कि छत्तीसगढ़ के हर एक चौक का नाम छत्तीसगढ़ पुरखा के नाम मे होना चाहिए, छत्तीसगढ़ के लिए जीने-मरने वाले पुरखों का सम्मान है।

ज्ञापन सौंपते समय संगठन के कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में मौजूद थे। इस दौरान अनिल पाली, शैलू छत्तीसगढ़िया, लोकेंद्र कौशिक, मनोज कौशिक, पीयूष यादव, विशाल कौशिक, संजू भोयरा, पीयूष निषाद, मनोज साहू, लक्षण कौशिक, मुकेश यादव, अजय सूर्या, राजेश कैवर्त, भुनेश्वर निषाद, राम मूरत चौबे, सहित दर्जनों सेनानी उपस्थित रहे और उन्होंने इस मांग को लेकर अपनी एकजुटता जाहिर की।

संगठन ने प्रशासन को अवगत कराया है कि मांग को नजरअंदाज किया गया तो आंदोलनात्मक कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे। यह पहल छत्तीसगढ़ की अस्मिता और पहचान को आगे बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जिससे आने वाली पीढ़ी छत्तीसगढ़ महतारी के महत्व को गहराई से समझ सकेगी।

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