टीकम निषाद/ देवभोग। राज्य में कांग्रेस सरकार स्थापित करने के बाद गांव गांव मे कार्यकर्ता पदाधिकारियों को पूरी उम्मीद रही की अब 94 गांव में कांग्रेस को पहले की तुलना अब मजबूती मिलेगी लेकिन हकीकत में जमीनी स्तर पर कांग्रेश आज भी मजबूत नहीं हो पाई है ।शायद यही वजह है कि 10 से 20 कार्यकर्ताओं के साथ आंदोलन धरना चक्काजाम जैसे बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजन करने को मजबूर हैं। ऐसे ही आज भी देखने को मिला जहां 30 कांग्रेसियों ने कृषि कानून के खिलाफ असफल चक्काजाम किया गया कांग्रेसियों की मौजूदगी में दुपहिया से लेकर हाईवा तक पार होती रही जिसे देख अक्सर राहगीर हंसी मजाक उड़ाते नजर आए क्योंकि यह पहला चक्का जाम है। जहां पार्टी कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में बेधड़क गाड़ियां आवागमन हो रही थी। मतलब ब्लॉक कांग्रेस कमेटी 25 मिनट भी चक्काजाम नहीं कर पाए जबकि कार्यकर्ताओं ने पूरी तैयारी कर लिया रहा ।बावजूद इसके असफल चक्काजाम कार्यक्रम होना जिम्मेदार पदाधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है। यहां बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानून बिल पारित करने के बाद दिल्ली बॉर्डर पर लाखों किसान आंदोलनरत है। जिन्होंने आज चक्काजाम करने का आवाहन किया जिसके समर्थन में कांग्रेस पार्टी भी प्रदेश के विकासखंडों में चक्का जाम करने के लिए निर्देश जारी किया और इसी तर्ज पर ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के ब्लॉक अध्यक्ष भूपेंद्र माझी पूर्व अध्यक्ष सुखचंद बेसरा उपाध्यक्ष दुर्गाचरण अवस्थी जिला महामंत्री अरुण मिश्रा धनसिंह मरकाम धनेश्वर प्रधान सूरज शर्मा सहित 30 पदाधिकारी कार्यकर्ता मुख्यमार्ग पर चक्का जाम के लिए बैठ गए। लेकिन 20 से 30 मिनट तक की यह चक्काजाम हो पाया इस बीच दो पहिया चार पहिया गाड़ियां बेधड़क आना-जाना करती रही । जिसे देख कई कार्यकर्ता आपस में ही तीखी बहस करते नजर आए ऐसे में स्वाभाविक है। कि कांग्रेस धरातल पर और भी कमजोर होगी सबसे खास बात तो यह है। कि जिला विधानसभा के साथ प्रदेश स्तर के नेताओं के आगमन पर लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं ।मगर जब जमीनी लड़ाई लड़ने की बारी आती है। तब पदाधिकारियों को 20 से 30 कांग्रेसियों के साथ ऐसे कार्यक्रम करना पड़ता है । जिसकी समीक्षा भी नहीं हो पाती।
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