बिलासपुर वॉच

कोटा सामुदायिक केंद्र खुद बीमार… गंदगी,अंधेरा और अवस्थाओं के बीच इलाज कराने मजबूर है लोग

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कोटा सामुदायिक केंद्र खुद बीमार… गंदगी,अंधेरा और अवस्थाओं के बीच इलाज कराने मजबूर है लोग

बिलासपुर।सरकार गरीबो को मुफ्त में बेहतर इलाज देने का जितना भी दावा कर ले.. । लेकीन धरातल पर हालात बहुत ही बदतर नजर आती है। उनके अच्छे मंसूबों को उनके ही अफसर मिट्टी पलीद करने में कोई कसर नही छोड़ते । यही हाल है जिले से लगे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोटा का। इस स्वास्थ्य केंद्र ही हालत बेहद खराब हो चुकी है। अस्पताल में भारी अव्यवस्था का आलम है । यहा गंदगी और बदहाल व्यवस्थाओं के चलते मरीजों को खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है। शौचालयों में पानी नहीं है, जिससे मरीज और उनके परिजन खुले में शौच जाने को मजबूर हो रहे हैं। अस्पताल के बिस्तरों में न तो बेडशीट है, न ही साफ-सफाई का ध्यान रखा जा रहा है। कई जगहों पर मरीज फटे हुए गद्दों पर इलाज कराने को मजबूर हैं। यही नहीं यहां बिजली जाने की स्थिति में अस्पताल पूरी तरह अंधेरे में डूब जाता है, क्योंकि जनरेटर महीनों से बंद पड़ा है। मरीजों की सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं, जिससे रात के समय डर और असुरक्षा का माहौल रहता है। यहां भर्ती मरीज भी माथा पीट रहे हैं और यह भी कहते नजर आते हैं कि अगर पैसे हो तो किसी प्रायवेट अस्पताल या बिलासपुर में ले जाकर इलाज करा लो लेकीन सामुदायिक स्वास्थ केंद्र कोटा लेकर मत लाओ… । इस हालात को जानने और देखने के बाद जब जब बीएमओ डॉ. निखिलिश गुप्ता से लोकस्वर ने फोन पर संपर्क उनसे इस समस्या के बारे में जानने की कोशिश की। तब वे तिलमिला उठे धमकी भरे लहजे में जवाब दिया और दूर्व्यवहार भी किया। उनके अभद्र व्यवहार से साफ जाहिर होता है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भारी अव्यवस्था है जिसे छिपाने के लिए बीएमओ ने मिडिया के साथ भी दुर्व्यवहार किया ।

परिजनों ने कहा- पैसे हैं तो प्राइवेट में ले जाओ यहां मत लाओ

यहां की बदहाली से माथा पीट रहे। यहाँ भर्ती मरीज़ के परिजन तो यहां तक कहते नजर आए कि इलाज के लिए रुपए नही है तो मजबूरी में यहीं आ गए है, लेकिन किसी के पास रुपए है तो वह किसी प्रायवेट अस्पताल या बिलासपुर जाकर इलाज करा ले। जानकारी के मुताबिक यहां डाक्टर के आने जाने का कोई टाइम टेबल नही है। फोन कर उन्हें बुलाया जाता है। रात में गिनती के स्टॉफ रहते हैं। पीछे जनरल वार्ड है जो सुनसान रहता है, बेड की स्थिति बहुत खराब और धूल जमी है। कुल मिलाकर कहा जाए तो ऐसे में यह स्वास्थ्य केंद्र खुद बीमार नजर आ रहा है।

सुरक्षा का इंतजाम नहीं !

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जाकर देखने से कई खामियां नजर आई।
यहां वार्ड में भर्ती मरीज के परिजनो ने बताया कि वार्ड और शौचालयों की सफाई नही होती। मजबूरी में शौचालय जाना पड़ता है लेकिन गंदगी इतनी है कि उल्टी तक हो जाती है। बेड फटा हुआ है चादरें बदली नही जाती। इससे भी बड़ी दिक्कत यह है कि लाइट अगर बंद हो जाए तो पूरी रात भगवान भरोसे बिताना पड़ता है। अस्पताल में दो जनरेटर है जो कई महीने से बंद है। रात में लाइट बंद होने पर मरीज व परिजन दोनो ही डरे सहमें रहते हैं क्योकि वहां सुरक्षा गार्ड तक नही है।

टार्च की रोशनी में इलाज करने मजबूर

अस्पताल में पीने के पानी के इंतजाम नही है । एक वाटर कूलर बिगड़ा हुआ है। लाइट बंद हो जाने पर वैकल्पिक बिजली को कोई इंतजाम नही है। दो जनरेटर है जो बिगड़ा हुआ है। सूत्रों की माने तो लाइट बंद हो गई तो टार्च की रोशनी में इलाज करने की नौबत आ जाती है। बडी संख्या में एक्सीडेंटल केस से लेकर प्रसव के मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की बात करें तो यहा आदिवासी बाहूल्य क्षेत्र होने के कारण क्षेत्र के नागरिको के लिए एकमात्र सहारा हैं। यहां कोटा के अलावा लोरमी, रतनपुर और बिलासपुर से सटे क्षेत्र के मरीज आते हैं।

“साफ सफाई तो बहुत जरूरी है। जनरेटर जैसी व्यवस्था शासन स्तर की है ,बी एम ओ से बात करता हूँ।”

डॉ सुरेश तिवारी, प्रभारी सीएमएचओ

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