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संभाग के रायगढ़ घराने के कत्थक नर्तक पंडित रामलाल बरेठ को मिला पद्म श्री

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संभाग के रायगढ़ घराने के कत्थक नर्तक पंडित रामलाल बरेठ को मिला पद्म श्री

– सुरेश सिंह बैस
बिलासपुर। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गई,क्ष जिसमें रायगढ़ के प्रसिद्ध कथक नर्तक पंडित रामलाल बरेठ का भी नाम शामिल है। रायगढ़ जिले के रामलाल बरेठ कथक के मूर्धन्य नर्तक हैं। पूर्व में अन्वेषक अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पंडित रामलाल को बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। रायगढ़ जिले में रहने वाले और वर्तमान में मंगला के शैल विहार में रहने वाले पंडित रामलाल बरेठ को कला क्षेत्र में पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया है। पद्मश्री समतुल्य सहायक पंडित रामलाल बरेठ ने बताया कि राजा महाराजाओं के समुद्र तट में कथक बहुत फला फूला करता था, लेकिन राजशाही खत्म होने के साथ ही इस कला पर भी संकट के बादल छा गए थे। उनके पिता भी देश के जाने-माने कथक नर्तक थे, जिनमें राज संरक्षण हासिल था। पिता दरबारों में अपनी नृत्य कला का प्रदर्शन करते थे। बहुत कम उम्र में पिता से मिली प्रेरणा रामलाल को भी कथक सीखने की प्रेरणा मिली। 12 साल की उम्र में वे भी दरबारों में अपनी कला का चित्रण करने लगे। पंडित रामलाल को कथक के क्षेत्र में आने की प्रेरणा उनके पिता से ही मिली थी और वे ही उनके शिक्षक भी थे। कई वर्षों की तपस्या के बाद राजा महाराजाओं के संरक्षण में पिता के सानिध्य में वे अपनी कला में पारंगत हो गए। चर्चा करते हुए रामलाल बरेठ उस दौर में चले गए और कहा कि किस तरह से हर दिन 6 से 8 घंटे तक वे नियमित अभ्यास करते थे। हर दिन अभ्यास से ही वे पारंगत होते चले गए लेकिन आजादी के साथ ही बुरा दौर भी आया, जब राजशाही खत्म हो गई तो दरबार भी खत्म हो गया। इसके बाद मंच की नियुक्ति मुश्किल हो गई। कथक के कलाकार भजन कीर्तन करने लगे, लेकिन फिर चक्रधर महाराज ने अन्य कलाओं के साथ कथक को भी संरक्षण दिया। उनके संरक्षण में एक बार फिर अविभाजित मध्य प्रदेश में कथक फलने फूलने लगा। चक्रधर महाराज ने कलाकारों को भी दी सलाह। इसके बाद पंडित रामलाल बरेठ ने नोएडा, फ्लोरिडा, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, बनारस सहित आसपास के सभी शहरों में अपनी कला का प्रदर्शन किया। पंडित रामलाल बरेठ ने कहा कि कथक, गुरु शिष्य परंपरा की कला है, लेकिन कॉलेज में डिग्री दी गई। कथक के कलाकार भजन कीर्तन करने लगे, लेकिन फिर चक्रधर महाराज ने अन्य कलाओं के साथ कथक को भी संरक्षण दिया। उनके संरक्षण में एक बार फिर अविभाजित मध्य प्रदेश में कथक फलने फूलने लगा। चक्रधर महाराज ने कलाकारों को भी दी सलाह। इसके बाद पंडित रामलाल बरेठ ने नोएडा, फ्लोरिडा, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, बनारस सहित आसपास के सभी शहरों में अपनी कला का प्रदर्शन किया। पंडित रामलाल बरेठ ने कहा कि कथक, गुरु शिष्य परंपरा की कला है, लेकिन कॉलेज में डिग्री के हिसाब से लोग इसे सिखाते हैं, लेकिन इसमें निखार नहीं आता, जो गुरु शिष्य परंपरा में संभव है। उन्होंने सरकार से यह भी अनुरोध किया कि वह कथक को संरक्षण प्रदान करें ताकि देश के शास्त्रीय नृत्यों में कथक वाद्ययंत्र शामिल न हों और नई पीढ़ी इसका आकर्षण बने। बता दें कि इस साल पद्म पुरस्कारों में छत्तीसगढ़ से तीन नाम शामिल हुए हैं जिनमें पंडित रामलाल बरेठ के अलावा जागेश्वर यादव और हेमचंद भी शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने त्रिविभूतियों को ट्वीट कर बधाई दी है।

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