प्रांतीय वॉच

पढ़ने लगी कड़ाके की ठंड,  अंंगीठी, गोरसी का ले रहे सहारा

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कमलेश रजक/ मुंडा : पिछले सप्ताह भर से कड़ाके की ठंड पड़ने लगी है। निरंतर क्षेत्र में पारा नीचे गिरता ही जा रहा है। ठंडी हवाएं चलने के कारण शीतलहर की स्थिति है। जिससे अंचल के गांव सुनसान नजर आ रहे थे।
कड़ाके की ठंड का अहसास पिछले 7 दिनों से हो रहा है। इस कारण से आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। लोग स्वेटर, जैकेट आदि पहनकर घर से बाहर निकलने को मजबूर है। सुबह-सुबह हल्की शीतलहर की स्थिति बनने से ठिठुरन बेहद बढ़ जा रही है। दिन में तेज धूप के बावजूद ठंड चरम पर है। क्षेत्र में एक सप्ताह पहले आसमान पर बादल छाये रहने की वजह से ठंड नहीं के बराबर थी। इन दिनों ठंड का असर ग्रामीण जनजीवन पर भी देखा जा रहा है। ठंड के कारण ग्रामीण अपने-अपने घरों में दुबके रहने को मजबूर हैं। खासकर बुजुर्ग अचानक मौसम के बदले मिजाज से सुबह अपने-अपने घरो में अंगीठी, गोरसी तापते नजर आ रहें हैं। ग्रामीण अपने निजी व खेती संबंधित कार्य सुबह 5 बजे से प्रारंभ कर देते थे पर पिछले 5 दिनों से ठंड के कारण यह कार्य 2 से 3 घंटे विलंब से प्रारंभ कर रहें है। वहीं राेजाना अलसुबह घने कोहरा के छाए रहने से लोगो को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सुबह 9 बजे के बाद ही कोहरा से निजात मिल रही है। क्षेत्र के गांव की गलियां रात 8 बजे के बाद वीरान हो जा रही है। शीतलहर पड़ने के कारण इन दिनों हरी सब्जी के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। नदी क्षेत्र पर बसे गांव के ग्रामीणों ने चर्चा पर बताया कि जिस प्रकार की कड़ाके की ठंड पड़ रही है ऐसा ही ठंड पड़ता रहा तो जिन किसानों ने हरी सब्जी की खेती कर रखी है उनके लिए यह मौसम बेहद फायदेमंद साबित होगा। मिर्च, धनिया, गोभी, आलु, बैगन के लिए फायदेमंद है। क्योंकि इस तरह के मौसम में कीट स्वमेव ही समाप्त हो जाते हैं। इससे खेतों में कीट प्रकोप नहीं होता है। इससे सब्जी फसल का उत्पादन भी अच्छा होगा और दवाई की छिड़काव की जरूरत नहीं पड़ेगी। कुल मिलाकर यह मौसम हरी सब्जी के उत्पादन में अमृत के समान है
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