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एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी भारतीय स्वाधीनता संग्राम के अध्याय एवं आदर्श विषय पर हुई आयोजित

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आफताब आलम

बलरामपुर/ उच्च शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ शासन की आर्थिक सहायता से आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ आइक्यूएसी के द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन संपन्न हुआ ।
संगोष्ठी का विषय था – भारतीय स्वाधीनता संग्राम के अध्याय एवं आदर्श। इस इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता प्रोफेसर सदानंद शाही कुलपति, श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी भिलाई , कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य नंद कुमार देवांगन रहे। विषय विशेषज्ञ के रूप में डॉक्टर मनोज पांडे विभाग अध्यक्ष हिंदी विभाग राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय नागपुर डॉक्टर चंद्रशेखर सिंह शासकीय महाविद्यालय घरघोड़ा, डॉ सचिन कुमार मंदिर वार मगध विश्वविद्यालय बोधगया, डॉ अमित कुमार सिंह शासकीय महाविद्यालय फास्टरपुर मुंगेली, और इसी प्रकार प्रोफेसर निरंजन सहाय विभागाध्यक्ष हिंदी और आधुनिक भारतीय भाषा विभाग महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी उत्तर प्रदेश रहे । इनके अलावा विषय विशेषज्ञ के रूप में डॉक्टर आरपी सिंह शासकीय राजीव गांधी स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय अंबिकापुर, डॉ0 अभिषेक कुमार पटेल शासकीय शहीद कौशल यादव महाविद्यालय गुंडरदेही बालोद विषय विशेषज्ञ के रूप में रहे। अंतिम एवं चतुर्थ सत्र में समापन के अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉक्टर राम भजन सोनवानी, प्राचार्य शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामानुजगंज रहे। प्रथम सत्र का संचालन प्रोफेसर नंदकिशोर सिंह ने किया धन्यवाद ज्ञापन प्रोफ़ेसर अगस्तिन कुजूर ने किया ।द्वितीय सत्र का संचालन डॉक्टर उमेश कुमार पांडे धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर वैभव कुमार ने किया। द्वितीय तकनीकी सत्र का संचालन प्रोफेसर विनीत कुमार गुप्त धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर ओम शरण शर्मा इसी प्रकार अंतिम सत्र का संचालन श्री नंदकिशोर सिंह और धन्यवाद ज्ञापन डॉ साहू ने किया।
संगोष्ठी का प्रारंभ महाविद्यालय की परंपरा अनुसार अतिथियों के आसन ग्रहण चंदन तिलक और उनके स्वागत के साथ मंगलाचरण गान के साथ हुआ स्वागत भाषण प्राचार्य नंद कुमार देवांगन ने करते हुए महाविद्यालय के द्वारा किए जा रहे इस आयोजन पर प्रकाश डाला।
जिसमें देश के कोने-कोने से दर्शन और साहित्य के मूर्धन्य विद्वानों ने अपने अमूल्य विचार रखें और खूब जमकर बस भी किया साथ ही कई महाविद्यालय, विश्वविद्यालयों से आगत शोधार्थियों ने अपने गंभीर शोध पत्रों द्वारा संगोष्ठी को एक सार्थक संगोष्ठी का रूप देने की कोशिश की।
किसी भी संगोष्ठी की जान होती है उसमें आमजन की सहभागिता और विषय के साथ वक्ताओं के साथ संवाद । संगोष्ठी में देखी गई एक तरफ विद्यार्थियों का बढ़-चढ़कर इसमें पूरी लगन और निष्ठा के साथ संगोष्ठी की पूरी मंचीय व्यवस्था से लेकर भोजन व्यवस्था, साज-सज्जा की व्यवस्था तक से जुड़ा होना तो वहीं कुछ गंभीर प्रश्नों से विद्वान वक्ताओं तक अपनी जिज्ञासाओं के समाधान के लिए तत्पर होना इस संगोष्ठी की सबसे बड़ी उपलब्धि रही।

 

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