कमलेश लव्हात्रै ब्यूरो चीफ
बिलासपुर / ग्राम रसोटा,पामगढ़ में पांच दिवसीय गुरु घासीदास जयंती का आयोजन किया गया इसमें बिलासपुर से सामाजिक कार्यकर्ता व अधिवक्ता जितेन्द्र बंजारा ,संजीत बर्मन अतिथि के रूप में शामिल हुए।जितेन्द्र बंजारा ने ग्राम वासियों को गुरु घासीदास जयंती की शुभकामना देते हुए कहा कि जब हमारे लोगों के साथ जातीय हिंसा होती थी शोषण और अन्याय और अत्याचार होता था तब बाबा गुरु घासीदास ने उस व्यवस्था के विरुद्ध सतनाम आंदोलन चलाया और शोषण अन्याय के कारण मंदिर जाने, मूर्ति पूजा करने को निषेध किया ताकि सतनाम को मानने वालों की अपनी संस्कृति हो सके अपनी पहचान हो सके अपनी धार्मिक व्यवस्था हो सके इस आंदोलन में तब के जितने भी जाति के लोग प्रताड़ित थे वे सब बाबाजी के पीछे चल पड़े और सतनामी बने इस कारवां को उनके पुत्र गुरु बालकदास ने आगे बढ़ाया और अपने समाज के लोगों को जागरूक किया तथा लगभग 400 जमींदार बनाएं परंतु जिन लोगों को बाबा गुरु घासीदास एवं गुरु बालकदास के इस आंदोलन से तकलीफ हुई उन लोगों ने गुरु बालक दास की हत्या कर दी।
1935 में दादा नकुल देवली ने गुरु घासीदास जयंती मानना प्रारंभ किया और गुरु घासीदास एवं गुरु बालकदास के विचारों को पुनर्जीवित किया। उस जयंती के मंच के माध्यम से सतनामी समाज के लोग संगठित हुए और अपने हक अधिकार के लिए स्वाभिमान के लिए जागरूक हुए परंतु मौजूदा राजनीतिक पार्टियों ने समाज को विखंडित करने के लिए इन मंचों में कब्जा जमा रखा है ।जिस जयंती मंच का उपयोग समाज को संगठित करने के लिए होना चाहिए उसका उपयोग राजनीतिक पार्टी के नेताओं ने अपने राजनीतिक दल के प्रचार-प्रसार और वोट लेने का माध्यम बना रखा है
मंच में मुख्य अतिथि बनने की होड़ मची हुई है जब बाबा जी की जयंती आती है तब मंच में आकर वोट लेने के लिए स्वयं को सतनामी बताते हैं और मानव मानव एक समान का नारा देते हुए वोट के लिए अपील करते हैं और जब अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों पर अन्याय अत्याचार होता है तब हमारे लोगों की मदद करने के लिए नहीं आते हैं बल्कि विरोधियों के साथ खड़े नजर आते हैं।
श्री बंजारा ने कहा कि जिस भी राजनीतिक दल के लोग बाबाजी के मंच में आए, उनसे आग्रह करें कि वे इसी मंच से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अनुसूचित जाति वर्ग के आरक्षण को 16% करने के लिए मांग करें।
जब आपके हक़ व अधिकार की बात होने लगेगी,आपके विकास की बात होने लगेगी तब ये राजनैतिक लोग आपके मंच को छोड़कर भागने लगेंगे।
आपको किसी राजनीतिक दल से टिकट की भीख मांगने की ज़रूरत नहीं है ,आपकी जनसंख्या इतनी है कि आप संगठित होकर अपने बीच में से किसी भी व्यक्ति को विधायक बना सकते हो,ज़रूरत है सिर्फ अपनी ताकत को पहचानने की।
राजनैतिक पार्टियों ने हमे अलग अलग दलों में बांट दिया है जिससे समाज कमजोर हो गया है।
बीजेपी ने अपने शासन काल में अनुसूचित जाति के आरक्षण को 16% से 12% कर दिया तब कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था की उनकी सरकार बनेगी तब पुनः 16% आरक्षण दिया जाएगा परन्तु सरकार ने आने के बाद, में. उच्च न्याालय के आदेश के बाद भी भूपेश बघेल ने वादाखिलाफी किया और जब हमने विरोध किया तब हमें जेल मै डाल दिया हमें गुंडा घोषित किया है,लेकिन हम लोग डरने या दबने वाले नहीं हैं अगर अपने हक़ व अधिकार के लिए लड़ना गुंडागर्दी है तो हम ये गुंडागर्दी करते रहेगें।
संजीत बर्मन ने कहा की पूरे छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को पामगढ़ के लोगों से सीख लेनी चाहिए कि वे जिस तरह से भाजपा और कांग्रेस को नकारते हुए बहुजन समाज के बेटी को विधायक बना दिया उसी तरह जिस दिन यह जागरूकता पूरे छत्तीसगढ़ में आ जाएगी उस दिन अनुसूचित जाति वर्ग का बेटा या बेटी छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री होगा और जिस समाज का शासक होता है उस समाज पर अन्याय अत्याचार नहीं होता है। हमारे समाज में जागरूकता ना आए हमारे समाज के लोग संगठित ना हो पाए इसलिए दुश्मनों ने हमें पाखंड, अंधविश्वास जादू टोना, तंत्र मंत्र में उलझा कर रखा है सबसे पहले आपको अन्धविश्वास,पाखंड और आडंबर से दूर होना पड़ेगा आपके गले का ताबीज आपके विकास में बाधा है आपके पैर का काला धागा आपके पैरों की बेड़ियां है आपके हाथ का कलावा आपके हाथ की हथकड़ी है तोड़ डालिए इनको और अपने बच्चों को तार्किक व वैज्ञानिक सोच दीजिए उच्च शिक्षा दीजिए जिससे वे अपने बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकेंगे और शासन प्रशासन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकेंगे तभी आपका और आपके समाज का विकास हो पाएगा।
आयोजन समिति से अपील किया की जो समाज आप पर अन्याय करता है उसको अतिथि बनाना बंद करो देखना उनकी राजनीतिक पकड़ कम हो जाएगी वो लोग आपके सामने बेबस और लाचार नजर आएंगे।
इस अवसर पर जेल जाने वाले युवाओं का सम्मान किया गया।
इस सभा को अधिवक्ता जितेन्द्र बंजारा,संजीत बर्मन,सागर बंजारे ने संबोधित किया
इस कार्यक्रम में विजेंद्र ज्वाला,संजू रत्नाकर,दिरेंद्र कुर्रे,रघुराज कुर्रे, दंकेश बर्मन,साहिल लहरे,सूरज लहरे,गजेन्द्र कुर्रे,राजेश लहरे, मनरखन लाल पंकज सहेत्तर कुर्रे,पंचराम ज्वाला एवं समस्त ग्रामवासी उपस्थित थे