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छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण पर अब सरकार का पहरा, विधानसभा के शीतकालीन-सत्र में गृहमंत्री पेश करेंगे धर्मांतरण संशोधन विधेयक

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रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र 14 दिसंबर से शुरू होकर 17 दिसंबर तक तक चलेगा। इस सत्र में धर्मांतरण संशोधन विधेयक पेश होगा। गृहमंत्री विजय शर्मा ने इस सत्र में विधेयक लाने की पुष्टि करते हुए मीडिया से चर्चा में बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार धार्मिक स्वतंत्रता कानून भी बनाने जा रही है। शीतकालीन सत्र में धर्मांतरण संशोधन विधेयक आएगा। इस विधेयक के आने के बाद नियमों में कई बदलाव होंगे। अब धर्म बदलने से 60 दिन पहले जानकारी देनी होगी।

इस ड्राफ्ट के अनुसार, अब किसी एक धर्म से दूसरे धर्म में जाना आसान नहीं होगा। धर्म परिवर्तन केवल पूरी प्रक्रिया और नियम कानून का पालन करने के बाद ही किया जा सकेगा। नियमों का उल्लंघन करने या जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर जेल के साथ कड़ी सजा का प्रावधान किया जाएगा। बता दें कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में खासकर बस्तर, जशपुर, रायगढ़ क्षेत्र में बड़े पैमाने पर आदिवासियों को ईसाई धर्म में लिया जा रहा है। बस्तर के नारायणपुर क्षेत्र में तो यह गुटीय संघर्ष में तब्दील हो चुका है।

छत्तीसगढ़ में वर्तमान में धर्मांतरण की प्रक्रिया को वैधानिक मान्यता देने वाला कोई स्पष्ट नियम नहीं है। अक्सर देखा जाता है कि, लोग किसी अन्य धर्म के अनुयायी की बातों या प्रभाव में आकर उस धर्म को अपनाते हैं। उसकी पूजा-पद्धतियों को मानकर खुद को उस धर्म का अनुयायी घोषित कर देते हैं। अब नए ड्राफ्ट में अगर कोई व्यक्ति इस प्रस्तावित नियम के बाहर जाकर धर्म परिवर्तन करता है, तो उसे वैध नहीं माना जाएगा। साथ ही किसी पर दबाव बनाकर या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराया जाता है, तो उस व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

इस अधिनियम के तहत प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद के धर्म का पालन करने का अधिकार है। इस स्वतंत्रता को लोकतंत्र का प्रतीक माना जाता है। धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का अर्थ है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद के धर्म का अभ्यास करने और उसका पालन करने का अधिकार है।

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