रायपुर। जमीन का धंधा अब तक ऐसा रहा है जिसमें काला धन कमाने वाले अपना काला धन खपाने का काम करते रहे हैं। आमतौर पर जमीन के सौदे में कच्चे और पक्के का खेल चलता है, लेकिन प्रदेश सरकार ने जमीन की जो नई गाइड लाइन जारी की है, उससे कच्चे-पक्के का खेल पूरी तरह से बंद हो गया है। अब किसी को भी जमीन लेनी है, तो उसको पूरा पैसा एक नंबर में देना पड़ेगा। जमीन के अलावा और कोई भी कारोबार ऐसा नहीं है जिसमें काला धन खपाया जा सके।
सोने की खरीदी में सारा काम पक्के में होता है। 50 हजार से ज्यादा का भुगतान चेक या फिर ऑनलाइन होता है। ऐसे में इसमें कालाधन खपाना संभव नहीं है। जमीन की खरीदी-बिक्री में लंबे समय से कच्चे पक्के का खेल चल रहा था। आमतौर पर ऐसा होता है कि बाजार की कीमत से जमीन की कलेक्टर गाइड लाइन हमेशा कम रहती है। ऐसे में जमीन की खरीदी करने वाले जहां एक नंबर में सरकारी रेट में पैसा देते हैं, वहीं दो नंबर में बाकी का पैसा देकर काला धन खपाया जाता है।
जानकारों का साफ कहना है कि, प्रदेश सरकार ने जमीन का रेट जिस तरह से बढ़ाया है, उससे तो अब जमीन की सरकारी कीमत बाजार मूल्य से ज्यादा हो गई है। ऐसे में अब तो कच्चे-पक्के का खेल होने का सवाल ही नहीं उठाता है। अब जमीन के कारोबार में काला धन खपाने वाले परेशान हैं कि उनके काले धन का क्या होगा। काला धन खपाने का अब कोई और साधन भी नहीं है। अगर कोई चाहे वह सोना लेकर उसमें काला धन खपा दे तो यह संभव नहीं है। इसमें भी 50 हजार से ज्यादा की खरीदी पर नगद पैसे नहीं लिए जाते है। ऐसे में अब काला धन कमाने वालों का काला धन या तो डंप हो जाएगा, या फिर ये अपना काले धन का उपयोग किसी और के नाम से जमीन और सोना लेकर करेंगे। लेकिन किसी और के नाम से जमीन या सोना लेना भी आसान नहीं होता है। इसमें खतरा ज्यादा है। जब भी कोई छापा पड़ता है तो इसका भी खुलासा हो जाता है।
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के समय में जमीन की कीमत को 30 फीसदी कम कर दिया गया था। ऐसे में लंबे समय से खुलकर जमीन की खरीदी बिक्री में काला धन खपाने का खेल हो रहा था। जानकारों का साफ कहना है कि अगर किसी क्षेत्र में जमीन की कीमत एक करोड़ रुपए एकड़ थी, तो उसको 30 फीसदी कम करने पर वहां पर सरकारी रेट 70 लाख हो गया था। ऐसे में जमीन की खरीदी करने वाले जहां 70 लाख रुपए एक नंबर में दे रहे थे, वहीं बाकी के 30 लाख रुपए काला धन का दे रहे थे। इसी तरह से करोड़ों का काला धन जमीन के सौदों में खपाया गया। जिनके पास बेहिसाब काला धन था, उन्होंने रीयल एस्टेट के धंधे में इसको लगा दिया।

