एनपीजी न्यूज ने अपने लोकप्रिय स्तंभ तरकश में लिखा था कि पौने पांच साल के कार्यकाल का रिकार्ड बनाने वाले चीफ सिकरेट्री के लिए सीआईसी की कुर्सी छोटी पड़ेगी। एक तो सीआईसी का पद अब पांच साल से घटकर तीन साल का हो गया है। फिर काम भी अमिताभ जिस लेवल के हैं, वैसा नहीं है। आयोग में दिन भर कोर्ट में बैठकर आरटीआई वालों की सुनवाई करो या फिर फैसला लिखवाओ। अब चूकि दो दिन बाद बिजली विनियामक आयोग (Chhattisgarh Electricity Regulatory Commission) के चेयरमैन का पद खाली हो रहा है। यह पद सीआईसी से कई गुना अधिक बेहतर और सम्मानजनक है। बिजली की रेगुलेटरी बॉडी होने की वजह से इस पद का ग्लेमर भी रहता है। 28 में से करीब डेढ़ दर्जन राज्यों में रिटायर नौकरशाह बिजली विनियामक आयोग के चेयरमैन हैं।
बिजली विनियामक आयोग में वैकेंसी
2021 में बिजली विनियामक आयोग के चेयरमैन बनाए गए हेमंत वर्मा एक साल पहले पद छोड़कर त्रिपुरा जा रहे हैं। जुलाई 2026 में उनका पांच साल होता। मगर हेमंत का त्रिपुरा बिजली विनियामक आयोग में सलेक्शन हो गया है। दो दिन बाद वे 19 सितंबर को यहां से रिलीव हो जाएंगे। इसके बाद यह पद खाली हो जाएगा। हेमंत इसलिए त्रिपुरा जा रहे हैं कि यहां वे अगले साल रिटायर हो जाते और त्रिपुरा में उन्हें तीन साल का टाईम मिलेगा, क्योंकि उनकी उम्र अभी 62 है। 65 साल इसमें एज है।
पांच साल का संवैधानिक पद
बिजली विनियामक आयोग (Chhattisgarh Electricity Regulatory Commission) के चेयरमैन का कार्यकाल पांच साल या 65 बरस होता है। यह संवैधानिक पद है, जिसे सरकार बदलने के बाद भी हटाया नहीं जा सकता। हाई कोर्ट के रिटायर जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी चेयरमैन का चयन करती हैं। कमेटी में चीफ सिकरेट्री और केंद्रीय बिजली प्राधिकरण के चेयरमैन मेंबर होते हैं। अभी पिछले महीने ही बिजली विनियामक आयोग के मेंबर टेक्नीकल और मेंबर लॉ का सलेक्शन हुआ है। हाई कोर्ट के रिटायर जस्टिस टीपी शर्मा को कमेटी का चेयरमैन बनाया गया था।
ऐसे होगा सलेक्शन
उर्जा विभाग छत्तीगसढ़ बिजली विनियामक आयोग के चेयरमैन के लिए विज्ञापन जारी करेगा। महीने भर का आवेदन जमा करने का टाईम रहता है। इसके बाद इंटरव्यू का डेट तय किया जाएगा। वैसे, रेरा, सूचना आयोग, निर्वाचन आयोग की तरह बिजली विनियामक आयोग का चेयरमैन वही बनता है, जिसे राज्य सरकारें चाहती हैं। रमन सरकार ने डीएस मिश्रा को अध्यक्ष बनाया था। मगर सरकार बदलने के बाद भी वे 2021 तक कार्य किए। उनके बाद कांग्रेस सरकार ने हेमंत वर्मा को इस पद पर बिठाया था। हेमंत का अगर त्रिपुरा में सलेक्शन नही हुआ होता तो अगले साल तक इस कुर्सी पर रहते।
अक्टूबर लास्ट तक पोस्टिंग
बिजली विनियामक आयोग (Chhattisgarh Electricity Regulatory Commission) के चेयरमैन और मेंबर की पोस्टिंग की एक प्रक्रिया है। हेमंत वर्मा के पद छोड़ने के अगले दिन भी उर्जा विभाग विज्ञापन जारी करेगा तो फिर 20 अक्टूबर के बाद ही इंटरव्यू हो पाएगा। याने नए चेयरमैन के लिए अक्टूबर लास्ट या नवंबर फर्स्ट वीक तक वेट करना होगा। अमिताभ जैन का इस पद पर सलेक्शन हुआ तो वे पौने पांच साल बिजली विनियामक आयोग के चेयरमैन रहेंगे। चूकि एज 65 साल है और 60 के बाद उन्हें तीन महीने का एक्सटेंशन मिला है, इसलिए पांच में से तीन महीना माइनस हो जाएगा। याने पौने पांच बरस। बहरहाल, इस खबर की अभी अधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई है। मगर जानकारों का कहना है कि हो सकता है, 19 सितंबर को हेमंत वर्मा के रिटायर होने के तुरंत बाद उर्जा विभाग इसका विज्ञापन निकाल दे।
अधिकांश राज्यों में ब्यूरोक्रेट्स चेयरमैन
सरकारें रिटायर नौकरशाहों के साथ ही टेक्नोक्रेट और रिटायर जजों को बिजली विनियामक आयोग (Chhattisgarh Electricity Regulatory Commission) का चेयरमैन बनाती रही हैं। तेलांगना और झारखंड में हाईकोर्ट के रिटायर जस्टिस अध्यक्ष हैं। तो उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ में टेक्नोक्रेट अध्यक्ष हैं। वैसे अधिकांश राज्यां में रिटायर चीफ सिकरेट्री या एडिशनल चीफ सिकरेट्री बिजली विनियामक आयोग के अध्यक्ष हैं। छतीसगढ़ में भी पांच में से तीन रिटायर नौकरशाह चेयरमैन रहे। इनमें एसके मिश्रा, नारायण सिंह और डीएस मिश्रा शामिल हैं। एसके मिश्रा छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव रहे और नारायण और डीएस मिश्रा एसीएस से रिटायर हुए थे। छत्तीसगढ़ बनने के बाद 2004 में बिजली विनियामक आयोग का गठन हुआ था। एसके मिश्रा अध्यक्ष बनने के लिए दो महीने पहले वीआरएस ले लिए थे। अभी तक पांच चेयरमैन से दो टेक्नोक्रेट रहे, उनमें मनोज डे और हेमंत वर्मा शामिल हैं।
बिजली विनियामक आयोग के ये रहे चेयरमैन
1. एसके मिश्रा, जुलाई 2004 से जून 2009 तक
2. मनोज डे, जुलाई 2009 से जुलाई 2013 टेक्नोक्रेट
3. नारायण सिंह, जुलाई 2013 से जुलाई 2018 तक
4. डीएस मिश्रा, सितंबर 2018 से मार्च 2021 तक
5. हेमंत वर्मा, जुलाई 2021 से अभी तक।