नई दिल्ली। देश की 10 प्रमुख केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने मिलकर 9 जुलाई, बुधवार को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है। इस देशव्यापी हड़ताल में बैंकिंग, बीमा, डाक, कोयला, इस्पात, परिवहन, राजमार्ग और निर्माण जैसे क्षेत्रों के 25 करोड़ से अधिक कर्मचारियों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। हड़ताल का असर पूरे देश में महसूस किया जा सकता है।
हड़ताल का उद्देश्य
ट्रेड यूनियनों का कहना है कि यह बंद केंद्र सरकार की उन नीतियों के विरोध में है, जिन्हें वे मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी और कॉरपोरेट समर्थक मानती हैं।
इस आंदोलन को संयुक्त किसान मोर्चा और कृषि मजदूर संगठनों का भी समर्थन प्राप्त है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर प्रदर्शन की तैयारी है।
किन सेवाओं पर पड़ेगा असर?
हड़ताल का व्यापक असर कई प्रमुख क्षेत्रों पर देखने को मिल सकता है:
बैंकिंग और बीमा सेवाएं
डाकघर और संचार विभाग
कोयला और इस्पात उद्योग
राज्य परिवहन और हाइवे प्रोजेक्ट्स
NMDC और अन्य सार्वजनिक उपक्रम
राज्य सरकारों के विभिन्न विभाग
सरकार पर गंभीर आरोप
यूनियनों ने आरोप लगाया है कि उन्होंने 17-सूत्रीय मांग पत्र श्रम मंत्री मनसुख मांडविया को सौंपा था, लेकिन कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला।
पिछले 10 वर्षों से कोई वार्षिक श्रम सम्मेलन आयोजित नहीं किया गया, जिससे सरकार की उदासीनता स्पष्ट होती है।
बेरोजगारी बढ़ रही है, मजदूरी घट रही है, और शिक्षा-स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश में गिरावट आ रही है।
बेरोजगारी और युवाओं की चिंता
यूनियनों ने यह भी सवाल उठाया है कि सरकार नई भर्तियों के बजाय रिटायर्ड कर्मियों को दोबारा नियुक्त कर रही है।
देश की 65% जनसंख्या 35 वर्ष से कम उम्र की है, लेकिन 20-25 आयु वर्ग में सबसे अधिक बेरोजगारी देखी जा रही है।
मांग की गई है कि मनरेगा में कार्यदिवस और मजदूरी बढ़ाई जाए और शहरी मजदूरों के लिए भी कानून बनाए जाएं।
कौन-कौन यूनियनें शामिल हैं?
INTUC – इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस
AITUC – ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस
CITU – सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस
HMS – हिंद मजदूर सभा
AICCTU – ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस
AIUTUC – ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर
TUCC – ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर
UTUC – यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस
LPF – लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन
SEWA – सेल्फ एम्प्लॉयड वीमेंस एसोसिएशन
पूर्व में भी हुई हैं बड़ी हड़तालें
इन यूनियनों ने इससे पहले भी देशव्यापी हड़तालें की हैं:
26 नवंबर 2020
28-29 मार्च 2022
16 फरवरी 2023
हर बार इन आंदोलनों को ज़ोरदार समर्थन मिला और सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज़ उठाई गई।