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जंगल सफारी के बहिष्कार की क्यों उठ रही है मांग? जैन संगठन और पशु प्रेमियों की मांग के पीछे की जानिये क्या है वजह

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रायपुर। आठ साल से चार तेंदुए और एक लकड़बग्घा को पुराने जू नंदन वन में गोपनीय जगह पर छुपा कर प्रताड़ित करने का मामला उजागर होने के बाद अब नाराज वन्यजीव प्रेमी और संघठन खुल कर सामने आ गये हैं। मूक पशुओं के लिए कार्यरत पीपल फार एनिमल रायपुर और वाटिका एनिमल सेंचुरी की संचालिका कस्तूरी बल्लाल, जैन श्रीसंघ शंकर नगर के संरक्षक प्रेम चंद लूनावत, पशुप्रेमी संकल्प गायधानी ने आम जनता से भावुक अपील की है कि जहां जानवरों पर जुल्म होता है, जीव दया नहीं है, उस जंगल सफारी नया रायपुर का बहिष्कार करें।

वन्य जीव 8 साल से कालापानी में — न तो धूप देखी, न मिट्टी सूंघी

बल्लाल ने बताया कि इन पांचों को जंगल सफारी प्रबंधन ने पुराने नंदन वन जू, अटारी में आठ साल से ऐसी जगह रखा था जहां सूरज की रौशनी भी न जा सके। वे आठ साल मिट्टी की खुशबू भी न सूंघ सके। खुला आसमान भी नहीं देखा। 10×10 के कमरे की सीमेंट की नीरस दीवारों में दम घुटते हुए जीते रहे, इनके पास न चलने की जगह थी न उछलने की।
उन्होंने कहा कि देश में वन्य जीवों पर अत्याचार का अपने किस्म का यह पहला मामला है। इन तेन्दुओं और लकड़ग्घे की हालत बहुत दयनीय है। बताया गया है कि एक तेंदुआ ग्लूकोमा से पीड़ित है, दो अन्य को पैर की बड़ी समस्या है, और एक अंधा है। लकड़बग्घा के केवल तीन पैर हैं। इन्हें आवश्यक इलाज भी नहीं मुहैया कराया जाता।

लूनावत ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली है कि 2016 में अटारी स्थित नंदन वन से सभी मांसाहारी जानवरों को नया रायपुर के जंगल सफारी में शिफ्ट किया गया परन्तु इन पाचों को यही छोड़ दिया गया क्यों कि ये बीमार और अपंग थे। प्रबंधन इन्हें जंगल सफारी में स्तान्तरित करके शर्मिंदगी नहीं महसूस करना चाहता था इसलिए नया रायपुर में विश्व स्तरीय, एशिया के सबसे बड़े सफारी-कम-चिड़ियाघर के लिए अयोग्य माना। तब ही निर्णय ले किया गया था कि इन्हें मरने के लिए पुराने नंदन वन में छोड दिया जाए।

आठ साल में कई नए बाड़े बने पर इनके लिए नहीं

बल्लाल ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि मामला उजागर होने के बाद अब अधिकारी कह रहे है कि जंगल सफारी में बाड़ा नहीं था इसलिए इन्हें शिफ्ट नहीं किया गया, इनके लिए बाड़ा बनवाना चालू कर दिया है जल्द ही जंगल सफारी नया रायपुर के रेस्क्यू सेंटर में ले जायेंगे। उन्होंने (बल्लाल ने) कहा कि इन आठ सालों में दूसरे जानवरों के लिए कई नए बाड़े बनाए गए पर इन दुर्भाग्यशाली वन्यप्राणियों के लिए नहीं, इन्हें पुराने जू में मरने के लिए छोड दिया। अधिकारियों को बताना चाहिए कि इस आठ सालो में जंगल सफारी में विकास के नाम से कितने करोड़ खर्च हुए और कितने नए बाड़े बनाए गए?

वन विभाग दोषी अधिकारियों को निलंबित करे प्रकरण दर्ज करे

लूनावत और बल्लाल ने मांग की कि वन्यजीवों पर हुए इस अत्याचार के दोषियों को तत्काल ही निलंबित कर, वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम के तहत प्रिलिमिनरी ओफ्फेंस रिपोर्ट दर्ज कर कार्यवाही की जाए।

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