
बिलासपुर|नशे के सौदागरो द्वारा अर्जित संपति को जप्त करने के लिए बिलासपुर पुलिस द्वारा दिये गए आवेदन पर मुंबई सफ़ेमा कोर्ट ने मुहर लगाते हुए सफेमा एक्ट यानी तस्कर और विदेशी मुद्रा हेर फेर (संपत्ति जब्ती) अधिनियम 1976 के तहत फ्रीज करने के आदेश दिया है। यह पूरे प्रदेश का पहला ऐसा मामला है जिसमें की नशे सौदागर को आर्थिक हानि या कहा जाए आर्थिक रूप से पूरी तरह से निस्तोनाबूत करने का बिलासपुर पुलिस का सराहनीय प्रयास है। दरअसल बिलासपुर के मिनी बस्ती में गिन्नी उर्फ गोदावरी जांगड़े द्वारा नशीली दवा का कारोबार बड़े पैमाने पर काफी समय से चल रहा था। यह कारोबार खाली मिनी बस्ती तक सीमित नहीं था बल्कि पूरे शहर में लगभग सभी जगह ही इसका कारोबार फैला हुआ था। पुलिस द्वारा कार्यवाही कर गिन्नी जांगड़े को पकड़ने के बाद पुलिस अधीक्षक रजनीश सिंह की टीम ने गिरोह के बाकी सदस्यों को भी पड़ा यही नहीं रायपुर और जबलपुर से थोक सप्लायर वह मास्टरमाइंड सुच्चा सिंह को भी पकड़ा गया। पुलिस ने गिन्नी उर्फ गोदावरी की संपत्ति की जांच कर मूल्यांकन किया तो इसमें शहर में 2000 स्क्वायर फीट जमीन समेत 35 लाख की संपत्ति मिली हैं। पुलिस अधीक्षक द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार एनडीपीएस एक्ट 1989 के 68f1 में नशे की सामग्री बेचकर कमाई गई संपत्ति जप्त करने का स्पष्ट प्रावधान है लेकिन जांच एजेंसियों के पास इसका प्रमाण होना चाहिए कि उसके पास आएगा और कोई जरिया न हो, हमारी टीम ने इस प्रकरण में यह प्रमाणित किया है इसके बाद कोर्ट ने शीश करने का आदेश दिया है इस आदेश के बाद अपराधियों की कमर टूट जाएगी…