हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आईएस उपवेजा को प्रमुख लोकायुक्त बनाया गया है। चर्चा है उन्हें लोकायुक्त बनवाने में पिछले राज्यपालऔर भाजपा के एक विधायक की अहम भूमिका रही है।
हालांकि जस्टिस उपवेजा रमन सिंह सरकार में विधि सचिव रह चुके हैं। सबसे उनके बेहतर संबंध रहे हैं। मगर भाजपा विधायक सेउनका अलग ही रिश्ता रहा है।
विधायक महोदय ने जस्टिस साहब के घर रहकर पढ़ाई पूरी की थी। जस्टिस साहब के भाई के दूकान में काम भी करते थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद पहले तो कर सलाहकार के रूप में नाम कमाया। फिर विधायक भी बने। लोकायुक्त पद के लिए उपयुक्तव्यक्ति की खोज हुई, तो उपवेजा का नाम भी सामने आया। उनकी छवि एक ईमानदार जज की रही है। आखिर में सारे समीकरण उनकेअनुकूल बन गए, और उनके नाम पर मुहर लग गई।
सरगुजा के विधायकों की चांदी
सरगुजा संभाग के विधायकों की निकल पड़ी है। तकरीबन सभी विधायकों के क्षेत्र के लिए सीएम समग्र योजना के मद से करीब 3-3 करोड़ के कार्य मंजूर किए गए हैं।
वैसे भी सीएम का इलाका होने की वजह से सरगुजा संभाग की योजनाओं को प्राथमिकता से मंजूरी दी जा रही है।ये अलग बात है किबाकी क्षेत्र के सत्ताधारी दल के विधायक अपेक्षाकृत कार्यों को मंजूरी नहीं मिलने से नाराज़ दिख रहे हैं।
रायपुर दक्षिण में दंगल
भाजपा में रायपुर दक्षिण सीट को लेकर एक अलग तरह का ही विवाद शुरू हो गया है। चर्चा है कि चार–पांच दावेदार एक राय होकरपवन साय से मिले हैं। सभी दावेदारों ने एक सुर में कहा है कि हममें से किसी को भी टिकट दी जाए, मिलकर काम करेंगे लेकिनविधायक अथवा सांसद चुनाव लड़ चुके नेता को टिकट नहीं दिया जाना चाहिए। पवन साय ने तो हंसी मजाक में बात उड़ा दिए लेकिन येबात है कि जो भी बृजमोहन अग्रवाल कहेंगे, वही मान्य होगा। बृजमोहन ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं।
हार का दर्द
कांग्रेस के निष्कासित नेता आनंद कुकरेजा का एक सामाजिक कार्यक्रम में दर्द छलक गया। उसने कहा विधानसभा चुनाव में उनके बेटेअजीत कुकरेजा ने 23 हजार वोट हासिल किए थे।
आनंद ने मंच पर मौजूद विधायक पुरंदर मिश्रा की तरफ इशारा करते हुए कहा कि उनकी जीत अजीत की वजह से हुई लेकिन उन्होंनेआज तक हमें चाय पर नहीं बुलाया। आनंद कुकरेजा को कौन समझाए कि जीते को ही माला पहनाया जाता है। हारे हुए की पूछ परखनहीं होती है।
बंगले के विवाद की गूंज दूर तक
देवेद्र नगर आफिसर्स कालोनी में मकान पाने के लिए हर समय अफसरों में होड़ मची रहती है। इस कालोनी में मकान मिलना आसाननहीं है। शहर के बीचों बीच होने के साथ ही सारी सुविधाएं भी बहुत से मिल जाती है।
पिछले दिनों मकान पाने के लिए दो न्यायिक सेवा के अफसरों में जबरदस्त विवाद हो गया था। एक अफसर के घर, दूसरे पहुंच गए। विवाद बड़े बंगले तक पहुंच गया। इस विवाद के बाद कुछ अफसरों को आफिसर्स कालोनी में मकान ही नहीं मिल पा रहा है। हालांकिकुछ अफसर अब नवा रायपुर में सुविधाओं को देखते हुए आफिसर्स कालोनी का मोह छोड़कर वहां जाने के लिए तैयार दिखाई दे रहे हैं।
साय और शर्मा का कद बढ़ा
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दौरे के दौरान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय व गृहमंत्री विजय शर्मा की कार्यप्रणाली की जमकर प्रशंसा हुई है।दोनो प्रमुख नेताओं के पीठ थपथपाने के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे है। नक्सलवाद को लेकर हुई बैठक के दौरान अमितशाह ने मुख्यमंत्री व गृहमंत्री की तारीफ कर उन्हें मजबूत बना दिया है। इससे सरकार के कामकाज को लेकर उंगलियां उठाने वालेविशेष कर पार्टी के नेताओं को करारा झटका मिला है। सरकार के कामकाज व योजनाओं की तारीफ होने के बाद यह संभावना जताईजा रही है कि कई लंबित कामों को गति मिलेगी।
डीजीपी का प्रभाव कम करने की कोशिश
जेल विभाग में उठापटक के चलते डीजीपी मिश्रा का प्रभाव कम करने की कोशिश चल रही है। उनके कुछ विरोधी लगातार गृह मंत्री तकसभी संदेश पाहुंचा रहे हैं। राज्य सरकार ने दो अलग–अलग आदेश जारी करने का प्रयास भी किया है। बताया जाता है कि डीजीपी के PA के कारण विवाद अधिक बढ़ रहा है।संविदा नियुक्ति एक बड़ा पैच हैं।