नगरीय निकाय चुनाव भले ही नवंबर में संभावित है लेकिन राजनीतिक दल अभी से तैयारी में जुट गए हैं। कांग्रेस और भाजपा के महत्वाकांक्षी नेता मोहल्ले में भ्रमण करते देखे जा सकते हैं। इससे परे चुनाव के ठीक पहले टैक्स वृद्बि को लेकर जोरदार कवायद चल रही है। वित्त मंत्री ओपी चौधरी सरकार के खाली खजाना को भरने के लिए सभी विभागों को दिशा निर्देश दे रहे हैं। रायपुर नगर निगम का टैक्स का लक्ष्य दोगुना करने से अधिकारी भी परेशान होने लगे हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ विधायक ने भी नाराजगी जाहिर करते हुए उचित समय नहीं होने का संदेश पार्टी संगठन को दिया है। कहा जा रहा है कि विधायक का गुस्सा आगामी दिनों फुट सकता है। कांग्रेस टैक्स वृद्धि को जोरदार मुद्दा बनाने की तैयारी में लगी है।
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दक्षिण के दावेदार मायूस
चुनाव आयोग ने जम्मू कश्मीर और हरियाणा चुनाव की घोषणा कर दी है। राजधानी समेत प्रदेश के लोगों को यह अनुमान था कि रायपुर दक्षिण विधानसभा उप चुनाव की भी घोषणा साथ-साथ हो जायेगी। चुनाव की तारीख की घोषणा नहीं होने से दावेदारों को निराशा हाथ लगी है। रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव की घोषणा नहीं होने से भाजपा में आपसी कलह बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। दक्षिण में जिस तरह सुनील सोनी की दावेदारी मजबूती से उभरकर आ रही है, उसे संगठन का खेमा पचा नहीं पा रहा है।
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हरियाणा चुनाव प्रचार में जायेंगे छत्तीसगढ़ के नेता
छत्तीसगढ़ के प्रभावशाली भाजपा नेताओं और सांसद व विधायकों को हरियाणा विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी मिल सकती है। हरियाणा का चुनाव भाजपा और कांग्रेस, दोनों के लिए बेहद प्रतिष्ठा का चुनाव माना जा रहा है। छत्तीसगढ़ भाजपा के कई नेताओं का हरियाणा के नेताओं से गहरे तालुकात हैं । ऐसे नेताओं की ड्यूटी आगामी दिनों चुनाव में लग सकती है ।कांग्रेस की प्रमुख नेत्री छत्तीसगढ़ की प्रभारी रहीं कुमारी शैलजा के समर्थक भी हरियाणा चुनाव प्रचार के लिए जा सकते हैं। चुनाव प्रबंधन के लिए कुछ कांग्रेस के नेताओं को पार्टी जिम्मेदारी दे सकती है।
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कोल आरोपी से मिले नेताजी
भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व औ राज्य सरकार ने कांग्रेस सरकार में हुए घपले-घोटाले की जांच पड़ताल पूरी ताकत से करने का मन बनाया है। उसी दिशा में लगातार कार्रवाई भी चल रही है। इस बीच छत्तीसगढ़ भाजपा के एक ताकतवर नेता की कोल घोटाले में शामिल नेताओं से जेल में मुलाकात की काफी चर्चा हो रही है। भाजपा नेताओं का मुलाकात का सिलसिला चल ही रहा है। चर्चा है कि जेल में बंद कुछ रसूखदार लोगों को राहत देने की सिफारिश भी की गई है। बताते हैं कि भाजपा के ताकतवर नेता की गाड़ी सीधे जेल परिसर में गई और बैरक में जाकर आरोपी से सीधे मुलाकात की। जिस तरह केन्द्र व राज्य की एजेसियां कोल ब्लाक, शराब घोटाले के आरोपियों के यहां छापे और कार्रवाई कर रही है ।डर के मारे कई कांग्रेसी मिलने तक नहीं जा रहे हैं । ऐसे में ताकतवर नेता की जेल में मेल मुलाकात पर दाद दी जा रही है।
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छवि सुधारने पीआर एजेसियों की मदद..
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सरकार में प्रभावशाली माने जाने वाले कई मंत्री अपनी छवि सुधारने को लेकर बेहद चिंतित है। कई मंत्रियों ने शासन प्रशासन में अपनी कामकाज आम जनता से मुलाकात व प्रेस से संबंध अच्छा रखने के लिए पीआर एजेंसी की मदद ले रहे हैं। दिग्गज माने जाने वाले कई मंत्रियों के विभाग की गड़बड़ी सहित कई मामले धीरे धीरे खुलते जा रहे हैं। इन मामलों के खुलासे होने से सरकार में कुछ मंत्रियों के कामकाज की छाप नहीं पड़ पा रही है। अभी तक मंत्री अपने कुछ करीबी लोगों के जरिये छवि सुधारने की कोशिश करते रहे हैं लेकिन इसमें सफलता नहीं मिलने पर अब नये विकल्पों पर विचार विमर्श कर रहे हैं।
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प्रशासनिक फेरबदल का इंतजार..
राज्य सरकार ने आगामी दिनों होने वाले प्रशासनिक फेरबदल की चर्चा लंबे समय से चल रही है। कुछ अफसरों को हटाया जाने और कुछ लोगों को प्रभावशाली बनाए जाने की चर्चा कई हफ्तों से चल रही है लेकिन आदेश अभी तक नहीं निकल पाया है। ऐसे अनुमान लगाए जा रहे हैं कि अगस्त माह में भी प्रशासनिक फेरबदल हो सकते हैं ।अब यह अटकलबाजी जोरों से चल रही है। देखते हैं कि हकीकत में आदेश कब निकलता है।
लिट्टी-चोखा चलेगा..
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद नौकरशाही में अलग-अलग लाबी प्रभावशाली रही है। कभी दक्षिण भारतीय अफसरों का दबदबा रहा है, तो कभी ओड़िशा और पंजाबी लाबी का दबदबा रहा है।
कुछ समय के लिए स्थानीय अफसर भी हावी रहे हैं, लेकिन साय सरकार में बिहार मूल के अफसर बेहद ताकतवर बनकर उभरे हैं। इन दबंग कार्यशैली उन्हें औरों से अलग बना रही है। अब हंसी मजाक में कहा जाने लगा है कि बोरे-बासी नहीं, लिट्टी-चोखा चलेगा।