खुदकुशी के लिए मजबूर करने के आरोपी अकबर खान की जमानत याचिका हुई नामंजूर
– सुरेश सिंह बैस
बिलासपुर। आत्महत्या के लिए मजबूर करने के आरोप में गिरफ्तार आदतन अपराधी अकबर खान की जमानत याचिका सेशन कोर्ट ने खारिज कर दी है। इस मामले में आपत्ति कर्ता धनंजय गिरी गोस्वामी की ओर से अधिवक्ता समीर शुक्ला ने जमानत पर आपत्ति दर्ज कराई। साथी वीरेंद्र नागवंशी और अरुण अरुण नागवंशी की ओर से भी अधिवक्ता शुक्ला ने विभिन्न कारण बताते हुए अकबर खान को जमानत न देने की दलील दी। समीर शुक्ला ने बताया कि अकबर खान के जमानत आवेदन में यह बताया गया था कि यह उसका प्रथम जमानत आवेदन पत्र है। अधिवक्ता समीर शुक्ला ने बताया कि वर्तमान में अकबर खान के विरुद्ध अलग-अलग थानों में 7 अपराध दर्ज है। इतना ही नहीं पुलिस ने उसे सक्रिय गुंडा बदमाश की सूची में भी डाला है। इस बात की आशंका है कि अगर अकबर खान को जमानत मिलती है तो वह प्रार्थी और गवाहों को डरा धमका सकता है। अकबर खान की याचिका में उसे बीमार बताया गया। अदालत को यह जानकारी दी गई है कि अकबर खान का स्वास्थ्य अत्यंत खराब है। वह हृदय रोग से पीड़ित है और उम्र दराज व्यक्ति है, जिसका इलाज जेल में संभव नहीं। इस पर अधिवक्ता समीर शुक्ला ने यह दलील दी कि केंद्रीय जेल बिलासपुर में बंदियों के लिए जेल नियमावली के अनुसार उन्हें उचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। अकबर खान को जमानत देने पर समाज में अशांति फैलने का खतरा बताया गया, जिस पर विचार करते हुए अदालत में अकबर खान की जमानत याचिका खारिज कर दी है। उम्मीद की जा रही है कि अब अकबर खान हाई कोर्ट से जमानत लेने का प्रयास करेगा। आपको बता दे कि अकबर खान और तैयब हुसैन द्वारा प्रताड़ित किए जाने से रज्जब अली ने चांटीडीह पठान मोहल्ला स्थित अपने घर के आंगन में गुलमोहर के पेड़ में फांसी का फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली थी। उसका सुसाइड नोट भी मिला था, जिसमें बताया गया था कि उसकी पुश्तैनी जमीन और मकान पर कब्जा करने के लिए यह दोनों उस पर लगातार दबाव बनाते हुए प्रताड़ित कर रहे थे। इस मामले में पुलिस अब भी तैय्यब हुसैन की तलाश कर रही है।