देश के शीर्ष नेतृत्व अगले सप्ताह छत्तीसगढ़ में रात्रि विश्राम कर राजनीतिक मंथन करेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी काफी अरसे के बाद इस बार के दौरे में छत्तीसगढ़ में रात्रि विश्राम करेंगे। इस दौरान पार्टी के प्रमुख नेताओं से विचार- विमर्श भी करेंगे। इसके अलावा केन्द्रिय गृह मंत्री अमित शाह भी रात्रि विश्राम कर पार्टी संगठन के सभी बड़े लोगों को चुनावी मंत्र देंगे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रसाद नड्डा भी रात्रि विश्राम भाजपा दफ्तर में करेंगे। छत्तीसगढ़ भाजपा के लिए पड़ोसी राज्य उडि़सा, तेलगांना,महाराष्ट्र, यूपी का केन्द्र बिंदु चुनाव के दौरान रहेगा। छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर से ही पड़ोसी राज्यों में चुनाव प्रचार के लिए निकलेंगे। विधानसभा चुनाव के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक घंटा एयर पोर्ट मेंं रुके और भाजपा का घोषणा पत्र को अंतिम रुप दे दिया था। यह घोषणा पत्र बाद में भाजपा के लिए गेम चेंजर साबित हुआ। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि रायपुर का महत्व चुनावी समीकरण के लिए कितना अहम है इसके अलावा दिग्गजों का और दौरा इसी तरह के होने के संकेत है।
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सट्टा बाजार में भाजपा भारी..
चुनाव के दौरान सट्टा बाजार का काफी अहम भूमिका रहता है। प्रथम चरण चुनाव के बाद सट्टा बाजार में दोनों प्रमुख राजनीतिक दल का आंकलन करते हुए रेट खोल दिया है। बताया जाता है कि सट्टा बाजार में ही काफी झगड़ा हुआ है। उसके बाद दुबई से नहीं राजस्थान का फलौदी सट्टा खुला है इसमें भाजपा को 330 और कांग्रेस को 50 के करीब दिखा रहा है।
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टॉप 10 में आना चाहते हैं भाजपा प्रत्याशी..
छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशियों में लीड को लेकर प्रतिस्पर्धा अधिक चल रही है। छत्तीसगढ़ में ज्यादा से ज्यादा सीट जीतने के लिए प्रयासरत भाजपा के रणनीतिकार चुनावी जीत का लीड बढ़ाने के लिए मेहनत कर रहे हैं। रायपुर लोकसभा प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल दुर्ग लोकसभा प्रत्याशी विजय बघेल व राजनांदगांव संतोष पांडेय, कोरबा से सुश्री सरोज पांडे व अम्बिकापुर से चिंतामणि महराज का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। मोदी का हिन्दुत्व लहर के बावजूद इन सीटों पर विशेष समीकरण के तहत प्रत्याशी चुनाव अभियान में भिड़े हैं। देश के टॉप 10 लोगों में शुमार के लिए चुनाव की तैयारियां चल रही है।
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जनजाति इलाकों पर भाजपा का फोकस..
विधानसभा चुनाव में जनजाति क्षेत्रों में मिली अपार सफलता के बाद छत्तीसगढ़ भाजपा का पूरा फोकस एक बार फिर से आदिवासी क्षेत्रों में है। आदिवासी मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री बिष्णु देव साय लगातार छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों के आदिवासी क्षेत्रों में भी चुनावी दौरा कर रहे हैं। प्रदेश के जनजाति क्षेत्रों में अधिक मतदान और लीड बढ़ाने के लिए बी टीम लगाई गयी है। सरगुजा, कांकेर व कोरबा क्षेत्र में विशेष नजर रखी गयी है। राजनीतिक हलको में चर्चा है कि गोडवाना गणतंत्र पार्टी का झुकाव इस बार भाजपा की तरफ अधिक है। इससे कई संघर्ष वाली सीटें आसान हो सकती है।
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साहू समाज के रुख पर नजर
छत्तीसगढ़ में मंडल और कमंडल की राजनीतिक चलाने की कोशिश पार्टी स्तर पर हो रही है। कमंडल से भाजपा को फायदा होता है तो मंडल की रणनीति पर कांग्रेस चल रही है। इस बार साहू समाज का रुख किस तरफ होगा यह राजनीतिज्ञों की नजर है। साहू समाज को अपेक्षाकृत कम सीट लोकसभा क्षेत्र में मिलने से नाराज एक वर्ग मंडल की राजनीति में सक्रिय है। खासकर दुर्ग और महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी साहू मतदाता के भरोसे में है। कांग्रेस से भाजपा प्रवेश की लहर से कई प्रत्याशी परेशान है। अब अपने समाज के भरोसे ही चुनावी राजनीतिक की नैय्या पार लगाएंगे लगे हैं।
प्रत्याशियों से मंत्री नाखुश
साय कैबिनेट के दो ताकतवर सदस्य अपने यहां के पार्टी प्रत्याशियों से बिल्कुल भी खुश नहीं हैं। दोनों के इलाके से पार्टी ने जिन्हें प्रत्याशी बनाया है, उससे दोनों मंत्री खुश नहीं हैं।पार्टी के रणनीतिकार भी ज्यादा कुछ बोल नहीं रहे हैं। चुनाव में मंत्रियों के परफार्मेंस पर नजर है। रिजल्ट अनुकूल नहीं आए, तो दिग्गजों की जिम्मेदारी तय होगी। कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव के नतीजे से सरकार का भविष्य भी तय होगा।
बीजापुर में भाजपा का बुरा हाल
बीजापुर में इस बार नक्सल हमले की आशंका की वजह से भाजपा कार्यकर्ता प्रचार के नहीं निकले। प्रत्याशियों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया था। सीएम की एक सभा हुई, वो भी दंतेवाड़ा से सटे अपेक्षाकृत सुरक्षित इलाके में था।दिलचस्प बात यह है कि रामनवमीं पर हिन्दू संगठनों ने बीजापुर शहर में शोभायात्रा निकाली, लेकिन शोभायात्रा में भगवान राम की प्रतिमा या तस्वीर तक नहीं थी। हालांकि सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे और डीजे पर डांस कर बजरंग दल के कार्यकर्ता ओ ने अपना शौक पूरा किया।
कांग्रेस में अंतर्कलह
कांग्रेस में प्रचार के लिए राहुल गांधी के बाद प्रियंका गांधी की ही सभा हो रही है। कन्हैया कुमार ही प्रचार के लिए आए थे। पार्टी प्रत्याशी भी प्रचारकों को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं है। क्योंकि ज्यादातर प्रत्याशी फंड की कमी से जूझ रहे हैं। सभा की व्यवस्था पर काफी खर्च हो जाता है। वैसे भी ज्यादातर स्टार प्रचारकों की सभा के लिए खुद इंतजाम करना पड़ता है।
इन सबके बीच दिल्ली से पार्टी प्रवक्ताओं ने मोर्चा संभाला हुआ है। चर्चा है कि एक प्रवक्ता ने हाईकमान से यह शिकायत कर दी कि उन्हें स्थानीय नेताओं द्वारा सही फीड बैक नहीं दिया जा रहा है। कुल मिलाकर पार्टी के भीतर अंतर्कलह जारी है।
अकबर के राजनीतिक कदम की चर्चा
पूर्व मंत्री कवर्धा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक दिग्गज कांग्रेसी नेता मोहम्मद अकबर के कवर्धा विधानसभा क्षेत्र नहीं जाने की चर्चा राजनीतिक क्षेत्र में जमकर हैचुनाव के दौरान मोहम्मद अकबर की क्या भूमिका है इसकी भी तलाश में भाजपाई जुटे हैंआगामी विधानसभा चुनाव के पहले फिर से परिसीमन होगा नए परिसीमन से क्षेत्र कैसे कटेंगे कितने विधानसभा क्षेत्र नया बनेंगे और कौन-कौन नए दावेदार होंगे