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छठ घाट तिराहा रात में बना लुटेरों का अड्डा पुलिस निष्क्रिय

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छठ घाट तिराहा रात में बना लुटेरों का अड्डा पुलिस निष्क्रिय

– सुरेश सिंह बैस
बिलासपुर। शहर से जुड़ने और पुल बनने से मोपका और राजकिशोर नगर का क्षेत्र भले ही तोरवा से जुड़ गया लेकिन रात को ही यह क्षेत्र बेहद खतरनाक हो जाता है। आज भी घनी बसाहट ना होने से राजकिशोर नगर और मोपका को तोरवा से जुड़ने वाले छठ घाट पल के पास से रात को भी बिल्कुल सुरक्षित नहीं है। रेलवे रनिंग स्टाफ अक्सर नाइट ड्यूटी में यहां से जाने को मजबूर होते हैं।पहले भी कई बार उन्हें लूट का शिकार बनाया गया है। एक बार फिर से इसी तरह की रेलवे रनिंग स्टाफ लोको पायलट ने सरकंडा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज किया है। पीड़ित ने बताया कि राजकिशोर नगर और मोपका की ओर से छठ घाट जाने वाली सड़क के किनारे गुडों का अड्डा बन गया है। देर रात यहां लुटेरे सक्रिय रहते हैं जो लोको पाइलेट्स को शिकार बना रहे हैं। एक हफ्ते के अंदर ही यहां दो लोकोपायलट लूट का शिकार हो गए। 5 अप्रैल को मोपका में रहने वाले महेश वर्मा रात करीब 3:00 बजे घर से ड्यूटी जाने वाले थे। जैसे ही वे रावी रिजॉर्ट और छट घाट के पास तिराहा के करीब पहुंचे, वहां पीछे से दो बाइक सवार लुटेरे उनके पीछे चले आए‌ और, यात्री बाइक से चाबी निकाल ली और फिर चाकू अड़ाकर महेश वर्मा के पास मौजूद 770 रुपये और उनका मोबाइल लूट लिया ।। लेकिन इतने भर से उनका मन नहीं भरा तो दुस्साहस की सीमा पार करते हुए उन्होंने महेश वर्मा से अपने मोबाइल से ₹50,000 का ऑनलाइन कैश मंगवा लिया। इससे पहले 31 मार्च को मोपका निवासी गोविंद राव भी लूट का शिकार शिकार हो गए थे। उन्हें भी छठ घाट पर रोक कर लाठी डंडा से मारा गया, उनकी जेब में मौजूद 150 रुपये लूटे। उन्होंने गोविंद राव के मोबाइल से ₹3000 ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के जरिए अपना कोड बनवाया। जान के डर से इन दोनों ने जो कहा उनकी हर बात मानी। इधर बार-बार शिकायत के बावजूद भी सरकंडा पुलिस इसे लेकर गंभीर नहीं है। पता चला कि इलाके के बदमाश राहुल वर्मा और उनके दोस्त शिवम अडोलिया ने इस घटना को अंजाम दिया था, लेकिन पुलिस की जांच में यह भी पता चला कि राहुल वर्मा और आर्म्स एक्ट के मामले में शिवम जेल में था.।पुलिस उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात कह रही है। पूरे क्षेत्र में रात को सुनसान होने की वजह से लूटेरो का स्वर्ग बन जाने के लिए छोड़ दिया गया है। इसी वजह से यहां पुलिस अधिकारियों को भी दोषी ठहराया गया था, छठ घाट पुल के उस पार बसाहट है लेकिन ब्रिज से लेकर छठ घाट, बिलासा उपवन, ट्रांजिट और बाकी पूरे क्षेत्र में रात को एकदम सुनसान हो जाता है, इसलिए यहां लुटेरे घटना को अंजाम देते हैं। रेल कर्मचारी को फिर या रात में यहां से ट्रेन पकड़ने वालों को लूट लिया जाता है, स्पष्ट रूप से सी बात है कि किस तरह से लुटेरे मोबाइल के जरिए अपने एकाउंट में ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करवा रहे हैं, इसलिए उनकी साफ पहचान हो रही है और पुलिस के लिए यह पता लगाना जरा भी मुश्किल नहीं है कि लुटेरे कौन हैं। पुलिस को बार- बार इस तरह की घटना को अंजाम देने वाले लुटेरो को शीघ्र पकड़ना चाहिए, ताकि उन्हें भी समझ आ जाए कि शहर में जंगल राज नहीं चल रहा है।

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