भक्त प्रहलाद की विष्णु भक्ति
बिलासपुर। बंधवापारा सरकंडा बिलासपुर में स्वर्गीय पूनम पाठक की स्मृति में श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ का तीसरा दिन पंडित शिवचरित्र द्विवेदी ने भक्त प्रहलाद चरित्र का वर्णन किया कथावाचक ने व्याख्यान करते हुए कहा किकथा के अनुसार जिस समय असुर संस्कृति शक्तिशाली हो रही थी, उस समय असुर कुल में एक अद्भुत, प्रह्लाद नामक बालक का जन्म हुआ था। वह हिरण्यकशिपु और कयाधु के चार पुत्रों में सबसे बड़ा था l हिरण्य कश्यप देवताओं से वरदान प्राप्त कर के निरंकुश हो गया था। उसका आदेश था, कि उसके राज्य में कोई विष्णुकी पूजा नही करेगा। परंतु प्रह्लाद विष्णु भक्त था और ईश्वर में उसकी अटूट आस्था थी। इस पर क्रोधित होकर हिरण्यकशिपु ने उसे मृत्यु दंड दिया। हिरण्यकशिपु की बहन, होलिका, जिस को आग से न मरने का वर था, प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ गई, परंतु ईश्वर की कृपा से प्रह्लाद को कुछ न हुआ और वह स्वयं भस्म हो गई। अगले दिन भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकशिपु का पेट चीर कर उसे मार डाला और सृष्टि को उसके अत्याचारों से मुक्ति प्रदान की। इस अवसर पर खरेंद्र पाठक नंदकुमार पाठक उमाशंकर तिवारी ललित पाठक बिल्लू विनोद एवं बस्ती के लोगों ने कथा का श्रवण किया l