भूपेश सरकार के समय प्रमोटी आईएएस अफसरों को तवज्जों मिल रहा था, कई जिलों में कलेक्टर व कई महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थ थे। सरकार बदलते ही सभी लोगों को फील्ड से हटाकर मंत्रालय में पदस्थ कर दिया गया है। ऐसे अफसरों ने फिर अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। डायरेक्ट आईएएस अफसरों की पदस्थापना के बाद एक नई लाबी भी तैयार हो रही है। प्रभावशाली लाबी में अनुसूचित जाति, जन जाति व पिछड़ा वर्ग के अफसरों की संख्या ज्यादा है। इन अफसरों को साय के मंत्रियों से भी काफी उम्मीदें हैं।
मकर संक्रांति के बाद शिफ्टिंग
मकर संक्रांति के बाद साय मंत्रीमंडल के सभी सदस्य अपने आबंटित बंगले में आ जाएंगे। शुभ-अशुभ और मुहुर्त के चक्कर में ज्यादातर मंत्री अपने घर या सर्किट हाउस से ऑफिस का संचालन कर रहे थे। कांग्रेस सरकार के समय रहे मंत्री बंगला छोड़कर अपने निजी मकानों में चले गये है। इस समय कांग्रेस और भाजपा के बड़े नेताओं का राजधानी के सबसे महंगे कॉलोनी स्वर्णभूमि सबसे बड़ा आशियाना हो गया है। दोनों पार्टी के कई पूर्व मंत्री, विधायक इस कॉलोनी में रहते है।
मंत्रालयीन स्टाफ में भी होगा फेरबदल
मंत्रालय में इन दिनों हर स्तर के कर्मचारी व अधिकारियों के प्रमोशन की प्रक्रियाएं चल रही है। संभवत: इस महीने नये आदेश के बाद मंत्रालय अधिकारियों-कर्मचारियों में भी भारी फेरबदल होगें। नई सरकार आने के बाद मंत्रालय के कर्मचारी मंत्री स्टाफ में जाने के लिये जोरदार तरीके से जुगाड़ लगा रहे है। कांग्रेस सरकार के समय भी मंत्री स्टाफ में रहे कुछ कर्मचारियों को जगह मिल गई है, वहीं कुछ कर्मचारी रमन शासन काल में मंत्रियों के बंगले में काम का अनुभव प्रमाण पत्र लेकर मंत्रियों का चक्कर काट रहे है। ऐसे बहुत सारे लोगों के खिलाफ शिकायत होने के कारण वापस लौटा दिया गया है।
दीपक बैज के तेवर से लखमा आहत
चुनाव हारने के बाद कांग्रेस में गुटबाजी थम नहीं रही है। लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर जितनी भी कमेटी बनाई गई है, उसमें सभी हारे नेताओं को चुनाव जीताने की जिम्मेदारी दी गई है। इससे निष्ठावान कांग्रेसी हैरान है। तमाम दिग्गज नेता अपनी विधानसभा सीट को बचा नहीं पाए ,और लोकसभा चुनाव जीताने का ज्ञान बांट रहे है इससे कार्यकर्ता और नेताओं भी नाराजगी है। दिग्गज आदिवासी नेता पूर्व मंत्री कवासी लखमा विषम परिस्थितियों में जीतकर आने के बावजूद भी कांग्रेस के एक भी कमेटी में नहीं है, इसलिए बैठक में नहीं गए। बस्तर में चुनाव हारे सभी नेता लोकसभा चुनाव जीताने मैदान में उतर गए है, वहीं चुनाव जीतने वाले कवासी लखमा से दूरी बना ली गई है। कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के तेवर अचानक भूपेश बघेल के विरोधी के गुट होने लगी है। कवासी लखमा ने हाथ पकड़कर राजनीति करना सिखाया और भूपेश बघेल ने प्रदेश अध्यक्ष बनाने जोरदार लाबिंग की और टिकट दिलवाया । पर अब सब कुछ बदला दिख रहा है।
आरएसएस प्रमुख परेशान
प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद आर एस एस दफ्तर जागृति मंडल में भीड़ बढ़ गई है। मंत्रियों के स्टाफ में आने और मलाईदार पद के लिए अफसर जागृति मंडल की परिक्रमा कर रहे हैं।इतना ही नहीं, निगम -मंडल में जगह पाने के लिए भी भाजपा नेताओं की भीड़ जागृति मंडल में देखी जा सकती है। इससे प्रांत प्रमुख प्रेम सिंह सिदार परेशान बताए जाते हैं।
अब कोई फोन पर उनसे मिलने के लिए समय मांगता है, तो खुद ही बोल देते हैं कि भाई साहब दौरे पर हैं। मगर जो उनकी आवाज पहचाते हैं उन्हें आर एस एस प्रमुख का बदला रूख समझ में नहीं आ रहा है।
पुलिस में बदलाव
नए डीजीपी के लिए अरूण देव गौतम का रास्ता साफ हो गया है। वैसे स्पेशल डीजी राजेश मिश्रा ने काफी कोशिशें की और यूपी के सीएस की तरह एक्सटेंशन चाहते हैं। मगर वो पखवाड़े भर बाद रिटायर हो रहे हैं। उनकी संभावनाएं खत्म हो गई है।
पुलिस प्रशासन में एक और बदलाव हो सकता है। राजनांदगांव रेंज को खत्म किया जा रहा है। सब कुछ मकर संक्रांति के बाद होने के आसार हैं।