भारती हॉस्पिटल में डॉ. रेनू वशिष्ठ ने किया एक्टोपिक प्रेगनेंसी महिला का सफल सर्जरी
देशराज दास। सरायपाली भारती हॉस्पिटल में एक इक्टोपिक प्रेगनेंसी महिला का सफल ऑपरेशन किया गया महिला का प्रेगनेंसी दाहिने साइड के ट्यूब फंस गया था। जिससे ब्लिंडिंग हो रहा था। जिसे भारती हॉस्पिटल की स्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रेनू वशिष्ठ के ने राइट साइड के ट्यूब को सर्जरी कर महिला की जान बचाई।
“क्या है एक्टोपिक प्रेगनेंसी” स्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रेनू वशिष्ठ ने बताया कि नॉरमल प्रेगनेंसी गर्भधारण बच्चेदानी में होता है बच्चेदानी को छोड़ एक अन्य किसी स्थान ट्यूब अन्डोमेन अंडेदानी में भ्रूण का विकसित होना एटॉमिक प्रेगनेंसी कहलाता है।
डॉक्टर रेनू वशिष्ठ ने बताया कि महिला पहली बार कुछ दिनों पहले चेकअप के लिए आई थी। तब यूरीन टेस्ट में पाया गया कि वह 16 से 17 सप्ताह तक की गर्भवती है। उसका रुटीन इलाज शुरू हुआ। तभी उसका अल्ट्रासाउंड (सोनोग्राफी) किया गया तो पाया गया कि एक प्रेगनेंसी दाहिने साइड के ट्यूब में फंस गया है। तत्काल उसका सर्जरी कर राइट साइड के ट्यूब को काटकर उसमें फंसे प्रिगनेंसी को बाहर निकाला गया और ट्यूब को बांध दिया गया।
आपको बतादे एक महिला के पेट में 1 महीने से काफी दर्द हो रहा था कई डॉक्टरों के पास गई उनका यूरिन टेस्ट किया गया जिसमें परंतु उसकी परेशानी जैसे कि वैसे रहा. भारतीय हॉस्पिटल में डॉक्टर रेनू वशिष्ठ के पास आई उन्होंने सोनोग्राफी की सलाह दी डॉक्टर कुलदीप वशिष्ठ ने सोनोग्राफी पर पाया कि यह भ्रूण फैलोपियन ट्यूब मैं है और उन्होंने तुरंत ब्लड अरेंज कर ऑपरेशन की तैयारी में लग गए 45 मिनट के लंबे ऑपरेशन के बाद इक्टोपिक प्रेगनेंसी भ्रूण को निकाला गया ऑपरेशन के बाद महिला को छुट्टी तीन दिनों में दे दी गई अब महिला पूरी तरह से स्वस्थ है।
यह इक्टोपिक प्रेगनेंसी का बहुत दुर्बल था नॉर्मल इक्टोपिक प्रेगनेंसी 3 महीने से अधिक होने पर ट्यूब फट जाता है इस केस में बच्चा 16 से 17 सप्ताह तक जिंदा था जिसे तुरंत डॉक्टर वशिष्ठ ने सोनोग्राफी पर पाया गया कि भ्रूण बच्चेदानी की जगह ट्यूब में है ऐसा कैसे केवल हजारों लाखों की संख्या में एक होती है।