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जानबूझकर क़र्ज़ न चुकाने वालों के लिए मोदी सरकार ने खोला चोर दरवाज़ा : कांग्रेस

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रायपुर । कांग्रेस ने आरबीआई के नए फैसले को लेकर मोदी सरकार पर जानबूझकर ऋण न चुकाने वालों और धोखाधड़ी करने वालों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि आरबीआई की नई नीति से यह स्पष्ट हो गया है कि मोदी सरकार मध्यम वर्ग के खिलाफ है और जानबूझकर कर्ज न चुकाने व धोखाधड़ी करने वाले पूंजीपतियों के साथ है। इस नई नीति से देश को नुकसान होगा और धोखाधड़ी करने वाले सरकार के कुछ चुनिंदा पूंजीपतियों को फायदा होगा। भाजपा सरकार धोखाधड़ी कर देश से भागने वाले अपने कुछ पूंजीपति मित्रों को क्लीन चिट देने के लिए यह नीति लाई है।

मरकाम ने कहा कि आरबीआई ने जानबूझकर ऋण न चुकाने वालों और धोखाधड़ी कर देश से भागने वाले पूंजीपतियों को क्लीन चिट देते हुए मोदी सरकार ने चोर दरवाज़ा खोलने के लिए अपनी नीति में अचानक बदलाव किया है। सरकार द्वारा देश की कमाई को धोखाधड़ी करने वालों पर न्यौछावर किया जा रहा है। मोदी सरकार में 38 पूंजीपति बैंक घोटाला कर देश से भाग गए। अब इस नई नीति से यह संख्या और बढ़ने वाली है। देश की जनता की गाढ़ी कमाई लूटकर भागने वालों पर मोदी सरकार इतनी मेहरबानी क्यों दिखा रही है? ये सवाल देश की जनता आज मोदी जी से पूछ रही है।

अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ और अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ, जो 6 लाख बैंक कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।  दोनों संगठनों ने इस नीति का विरोध किया है। संगठनों ने इस नीति का विरोध करते हुए कहा कि इससे न केवल बैंकिंग क्षेत्र में जनता का भरोसा कम होगा, बल्कि जमाकर्ताओं का विश्वास भी कम होगा। उन्होंने चेतावनी देते हुए यह भी कहा कि इस तरह की उदारता लापरवाही और नैतिक संकट को बनाए रखते हैं। इसका खामियाजा बैंकों और उनके कर्मचारियों को भुगतना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि यह नुकसान केवल बैंकों और उनके कर्मचारियों को ही नहीं झेलना होगा, बल्कि करदाताओं और मध्यम वर्गीय परिवारों को भी झेलना पड़ेगा, क्योंकि यह रुपया जनता के टैक्स से आता है। मध्यम वर्ग को निरंतर ईएमआई और कर्ज का बोझ चुकाना पड़ा रहा है और दूसरी तरफ विलफुल डिफॉल्टंर्स और धोखाधड़ी करने लोगों को राहत दी जा रही है। मोदी सरकार की नीति स्पष्ट है कि वह मध्यम वर्ग के खिलाफ है और जानबूझकर कर्ज न चुकाने और धोखाधड़ी करने वालों के साथ है।

सरकार के अनुसार टॉप 50 लोन डिफॉल्टर्स का कुल ऋण 95,000 करोड़ से ज्यादा है। इनमें पहला नाम मेहुल भाई चौकसी की कंपनी गीतांजली जेम्स लिमिटेड का है। सरकार नीरव मोदी, ललित मोदी, मेहुल चौकसी, विजय माल्या जैसे लोगों के लिए लगातार काम कर रही है। दो साल पहले आरबीआई की पॉलिसी में स्पष्ट लिखा हुआ था कि विलफुल डिफॉल्टर्स और धोखाधड़ी करने वालों को शेयर बाजार में जाने की अनुमति नहीं मिलेगी और लोन लेने की अनुमति भी नहीं होगी। इन विलफुल डिफॉल्टर्स और धोखाधड़ी करने वालों को राहत देने के लिए अब सरकार ने यह नीति बदल दी है और इन्हें ताजा ऋण लेने के लिए खुली छूट मिली है।

पिछले नौ साल में मोदी जी के कार्यकाल में एनपीए 365 प्रतिशत बढ़ा है, 10 लाख करोड़ रुपए की राशि बट्टे खाते में डाली गई, जिसमें से केवल 13 प्रतिशत कर्ज वसूली हुई। खास बात ये है कि जानबूझकर ऋण नहीं चुकाने के मामले जो यूपीए सरकार के समय में 23,000 करोड़ थे, वह आज भाजपा सरकार में दो लाख 40 हजार करोड़ पहुंच गए हैं। देश के मेहनतकश लोग कर्ज और किश्त के बोझ तले दबे हैं। उन्हें कभी भी क़र्ज़ पर बातचीत करने या इसके बोझ को कम करने का अवसर नहीं दिया जाता है। मगर सरकार ने नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या जैसे धोखेबाजों एवं जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों को फिर से उनकी पहले की स्थिति में वापस आने के लिए रास्ता दे दिया है। इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि मोदी सरकार को सिर्फ अपने पूंजीपति मित्रों की चिंता है, चाहे उन्होंने देश के साथ धोखा ही क्यों ना किया हो।

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