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अब बढ़ेंगी सत्यपाल मलिक की मश्किलें! CBI ने 300 करोड़ रुपये रिश्वत मामले में पूछताछ के लिए बुलाया

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Satya Pal Malik: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्य पाल मलिक को उनके इस दावे के संबंध में पूछताछ के लिए बुलाया है कि उन्हें जम्मू-कश्मीर में अपने कार्यकाल के दौरान दो फाइलों को निपटाने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी। सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी है। सत्य पाल मलिक ने इंडिया टुडे से बात करते हुए कहा, ‘सीबीआई ने मुझे सामने पेश होने के लिए कहा है, क्योंकि वे मामले के बारे में कुछ चीजें स्पष्ट करना चाहते हैं। उन्होंने मौखिक रूप से मुझे 27 या 28 अप्रैल को मेरी सुविधा के अनुसार आने के लिए कहा है।

सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि 23 अगस्त, 2018 और 30 अक्टूबर, 2019 के बीच जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान फाइलों को मंजूरी देने के लिए उन्हें 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी। हाल ही में मलिक ने आरोप लगाया था कि योजना को पारित करने के लिए उन्हें आरएसएस और भाजपा नेता राम माधव द्वारा पैसे की पेशकश की गई थी। राम माधव ने आरोपों को निराधार बताया और सत्यपाल मलिक के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है। पिछले साल अक्टूबर में सीबीआई ने इस मामले में सत्यपाल मलिक से पूछताछ की थी।

पिछले साल अप्रैल में, सीबीआई ने सरकारी कर्मचारियों के लिए समूह चिकित्सा बीमा योजना के ठेके देने और किरू पनबिजली परियोजना से संबंधित 2,200 करोड़ रुपये के सिविल कार्य में सत्य पाल मलिक द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों के संबंध में दो प्राथमिकी दर्ज की थी।

क्या है पूरा मामला-

सत्य पाल मलिक को 2017 में बिहार के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था। मलिक को 2018 में बतौर राज्यपाल जम्मू-कश्मीर भेजा गया था। मलिक के कार्यकाल में ही केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया था।इसके बाद उन्हें बतौर राज्यपाल मेघालय भेज दिया गया था, लेकिन इस बीच उन्होंने दावा किया था कि उन्हें 23 अगस्त, 2018 से 30 अक्टूबर, 2019 के बीच जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी।

मलिक ने कहा था कि कश्मीर जाने के बाद उनके पास मंजूरी के लिए दो फाइलें आई थीं। इनमें से एक फाइल अंबानी की और दूसरी आरएसएस से जुड़े व्यक्ति की थी, जो पिछली महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री थे और प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) का बहुत करीब होने का दावा करते थे। मलिक ने कहा था कि मुझे दोनों विभागों के सचिवों द्वारा सूचित किया गया था कि ये एक घोटाला है और मैंने उसके अनुरूप ही दोनों डील्स को रद्द कर दिया था। मलिक ने यह भी बताया था कि सचिवों ने उनसे कहा था कि आपको हर फाइल को पास करने के लिए 150 करोड़ रुपये मिलेंगे।

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