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हसदेव में राजस्थान की खनन परियोजना को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी, कहा- विकास के रास्ते में नहीं आएंगे

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार की छत्तीसगढ़ स्थित परसा खदान और हसदेव क्षेत्र के विकास को रोकने वाली याचिका को अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया है।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और विक्रम नाथ की पीठ ने अंतरिम याचिका की सुनवाई करते हुए अपने आदेश में यह स्पष्ट किया कि छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य वन क्षेत्र में परसा कोयला ब्लाक के लिए भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं के लंबित रहने को कोयला खनन गतिविधियों के खिलाफ किसी भी तरह के प्रतिबंध के रूप में नहीं माना जाएगा।

इसके साथ ही सुरगुजा में राजस्थान राज्य की विज इकाई राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड(आरआरवीयूएनएल) द्वारा प्रस्तावित 100 बिस्तर वाले आधुनिक चिकित्सा सुविधा से युक्त अस्पताल और आदिवासियों को मुफ्त शिक्षा देने वाली अंग्रेजी माध्यम की स्कूल को भी दसवीं से बारहवीं तक विस्तारित करने का रास्ता साफ हो गया है।

क्या है मामला
परसा कोल ब्लाक का भूमि अधिग्रहण 2017-18 में कोल बेयरिंग एक्ट के तहत किया गया था। इसके विरोध में सरगुजा में मंगल साय समेत अन्य प्रभावितों ने सितंबर 2020 में याचिका दायर की गई थी। इसमें कहा गया कि खदान का हस्तांतरण राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम ने अडानी की निजी कंपनी को कर दिया है। जबकि कोल बेयरिंग एक्ट के तहत केवल केंद्र सरकार की सरकारी कंपनी के लिए जमीन अधिग्रहित हो सकती है। साथ ही नए भूमि अधिग्रहण के प्रविधान लागू ना करने से प्रभवितों को बड़ा नुकसान हो रहा है। इसी तरह वन अधिकार कानून तथा पैसा अधिनियम की भी अवहेलना की गई है। शुक्रवार को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ताओ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने ने पैरवी की। वहीं केंद्र सरकार की तरफ से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता और संयुक्त उपक्रम की और से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिकाओं का विरोध किया।

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