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आदिवासी आरक्षण रोस्टर विवाद : मेडिकल दाखिले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर, मंगलवार को होगी सुनवाई

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में आदिवासी आरक्षण संबंधी विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामले चल रहा है। इस बीच मेडिकल दाखिले में आरक्षण को लेकर एक छात्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें मेडिकल प्रवेश के लिए 9 अक्टूबर और 1 नवम्बर को जारी आरक्षण रोस्टर को रद्द करने की मांग की गई है। इस मामले में मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच में मंगलवार को सुनवाई होगी।

हाईकोर्ट का फैसला आरक्षण रोस्टर पर प्रभावी नहीं..?

मेडिकल काउंसलिंग में शामिल अनुप्रिया बरवा नाम की छात्रा की ओर से अधिवक्ता सी. जार्ज थामस ने याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए पहले से मेडिकल यूजी नियम 2018 और मेडिकल पीजी नियम 2021 बने हुए हैं। इसकी कंडिका 5 और 6 में अनुसूचित जाति को 12%, अनुसूचित जनजाति को 32% और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14% आरक्षण का प्रावधान है। उच्च न्यायालय में इस रोस्टर को कभी चुनौती नहीं दी गई। इसलिए 19 सितम्बर को आरक्षण कानून पर आया हाईकोर्ट का फैसला उस पर प्रभावी नहीं है।

नए रोस्टर के चलते प्रवेश से वंचित

याचिका में यह भी कहा गया है कि, हाईकोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने कहीं भी आरक्षण नियम प्रकाशित नहीं किया है। चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने 9 अक्टूबर को मेडिकल की पीजी कक्षाओं में प्रवेश के लिए और 1 नवम्बर को यूजी में प्रवेश के लिए अनुसूचित जाति के लिए 16%, अनुसूचित जनजाति के लिए 20% और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 14% आरक्षण का रोस्टर जारी कर काउंसलिंग शुरू कर दिया। 32% आरक्षण के हिसाब से अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को सरकारी मेडिकल कॉलेजों की 923 सीटों में से 284 सीटें मिलनी थी। नए रोस्टर से इस वर्ग को केवल 180 सीट मिल रही है। अनुप्रिया बरवा 185वें स्थान पर हैं, यानी मेडिकल प्रवेश नियम के मुताबिक उनका दाखिला तय था, लेकिन डीएमई के नए रोस्टर से उसका दाखिला नहीं हो पा रहा है।

अब अगली सुनवाई का इंतजार

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि, इस तरह की याचिकाएं हाईकोर्ट में भी लगी हुई हैं। इसमें 1 नवम्बर, 10 नवम्बर, 15 नवम्बर, 16 नवम्बर और 24 नवम्बर को इस मामले में सुनवाई हो चुकी है। कोई नोटिस जारी नहीं हुआ है। अनुप्रिया बरवा ने इंटरवेंशन अप्लिकेशन दायर की है। वह पेंडिंग है। 15 नवम्बर से कॉलेजों में पढ़ाई शुरू हो चुकी है। ऐसे में इसको सुनना जरूरी है। इस मामले में बीके मनीष ने एक मिसलेनियम अप्लिकेशन दायर की थी। याचिका पर सुनवाई के लिए मंगलवार की तारीख तय हो जाने के बाद यह आवेदन वापस ले लिया गया।

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