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चिरमिरी में मरीजों के साथ खिलवाड़: अस्पताल में बट रहा गुणवत्ता विहीन दवाई

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सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बड़ा बाज़ार चिरमिरी में मरीजों को वितरित की जाने वाली दवाई में मिली भारी गड़बड़ी

चिरमिरी/एमसीबी (भरत मिश्रा)। दवा कंपनियों की मनमानी और लापरवाही मरीजों के साथ लगातार खिलवाड़ कर रही है और उनकी जान जोखिम में डाल रही है। छत्तीसगढ़ के दवा बाजारों में लगातार खराब क्वालिटी की दवाओं की सप्लाई हो रही है और समय-समय पर इनका खुलासा भी होता रहा है, लेकिन कंपनियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण ये सिलसिला थम नहीं रहा है। ताजा मामला चिरमिरी का है यहाँ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बड़ा बाज़ार चिरमिरी में खराब क्वालिटी के दवाई का वितरण करने का मामला सामने आया है । बीपी (उच्च रक्तचाप), हृदय रोग, स्ट्रोक और दिल के दौरे जैसी स्थितियों के जोखिम को कम करने के लिए भी रोगियों के उपयोग में लाने वाली टेबलेट टेल्मीसार्टन 40 एम जी इतना घटिया क्वालिटी का है कि आप दवाई देखकर समझ सकते हैं दवाई बहुत ही ज्यादा नमी युक्त है जैसे ऐसा लग रहा है उसे किसी पानी से डुबाकर निकाला गया हो । वहीं टेबलेट का तोड़ने में इतना आसानी से टुट जा रहा है । इस दवाई का निर्माता यूनिमार्क हेल्थकेयर एलटीडी उत्तराखंड है जिसका बैच नंबर यूजीटी 22531 है। वहीं इसका मैनुफैक्चरिंग दिनांक अप्रैल 2022 व एक्सपायरी मार्च 2024 है । गौरतलब है कि उक्त दवाई का एक्सपायरी फरवरी 2024 है लेकिन दवाई मैनुफैक्चरिंग के 06 महीने में ही ख़राब हो चूका है । विभिन्न सामुदायिक, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं शासकीय अस्पतालों में इसी तरह का घटिया क्वालिटी का मेडिसिन वितरित कर मरीजों के जान से खिलवाड़ किया जा रहा है । ऐसा पाया गया है कि इन दवाओं की खराब क्वालिटी के कारण उपयोग के दौरान मरीजों के शरीर में अन्य समस्याएं भी देखने में आ रही हैं।

मेडिसिन को उपयोग में लाने से पहले विभिन्न पैरामीटर से गुजरना पड़ता है।

किसी भी मेडिसिन को उपयोग में लाने से पहले उनको विभिन्न पैरामीटर से गुजारा जाता है ताकि किसी भी प्रकार के साइड इफेक्ट्स न हो शरीर पर इसका पुरा जांच होने के बाद दवाई मार्केट में उतारा जाता है लेकिन इस तरह गुणवत्ता विहीन दवाई खाने से क्या असर हो सकता है आप समझ सकते हो ऐसा मेडिसिन जान के लिए कितना जोखिम भरा साबित हों सकता है।

इस भ्रष्टाचार का मुख्य जड़ आखिर कौन है ?

एक तरफ मरीजो को बेहतर इलाज के लिए शासन प्रशासन दावे करते हैं लेकिन इस तरह कमीशनखोरी के चक्कर में मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ कौन कर रहा है क्या दोषियों पर जांच कर कार्रवाई करेंगे या जांच के नाम गुमराह करके दोषियों को जीवनदान देते रहेंगे।

इस तरह अनियमितता वाले मेडिसिन खरीदी में आखिर किसका हाथ है आखिर कमीशनखोरी का मोटी रकम कौन खा रहे हैं। मेडिसिन अधिकतर तौर पर सीजीएमएससी द्वारा खरीद कर समस्त शासकीय अस्पतालों में सप्लाई किया जाता है । कमीशनखोरी के चलते गुणवत्ता विहीन दवाओं का वितरण किया जा रहा है ।

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