(रायपुर ब्यूरो ) | पंच महाभूत को प्रदूषण मुक्त बनाना आवश्यक हैं, पर्यावरण शुद्धिकरण एवं सनातन संस्कृति की स्थापना अवतार का मुख्य प्रयोजन श्री मद् भागवत कथा के पावन प्रसंग में भगवान् के श्री कृष्णवतार लीलाओ का वर्णन करते हुए कथा व्यास आचार्य श्री पंडित झम्मन शास्त्री पीठ परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने बताया कि भगवान का अवतार सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षण पर्यावरण शुद्धि पंचमहाभूतो को प्रदूषण मुक्त बनाकर गौ सेवा के प्रति समाज की आस्था बढाने हेतु हुआ ।भगवान् 5 वर्ष तक गोकुल मे बाललीला ई 6 से 11 वर्ष तक वृंदावन 11 से 14 वर्ष तक मथुरा मे तथा 100 वर्ष तक द्वारिका पुरी मे लीला के द्वारा भक्तों का उद्धार किया। भगवान् श्री कृष्ण की लीलाए माधुर्य एवं ऐश्वर्य से परिपूर्ण है। ग्वालो के साथ गोपीयो के साथ जो मधुर लीलाओ का वर्णन है ।वह अत्यंत प्रेरणादायी है।प्रभू से मिलने के लिए निश्चल प्रेम चाहिए । भगवत प्राप्ति के लिए साधना के साथ कृपापात्र बनना आवश्यक है। शासन तंत्र मे जो अराजकता आ जाती है।तो समाज दिशा हीन हो जाता है यथा राजा तथा प्रजा कंश रावण हिरण्यकश्यप दुर्योधन आदि राजगद्दी मे बैठकर अधर्म अन्याय अनीति पुर्वक राज्य का संचालन करते थे जिससे अपराधिक प्रवृत्तिया बढ़ गई उसे नियंत्रित करने समय समय पर भगवान का कई रूपो मे अवतार होता है ।जिसके द्वारा भक्तों का उद्धार हुआ ।इससे वर्तमान शासन तंत्र को प्रेरणा लेकर समाज मे देश मे धर्म अध्यात्म संस्कृति के प्रति आस्था बढ़े ऐसा वातावरण बनाने का प्रयास होना चाहिए ।जिससे दुर्व्यसन न बढे तामस प्रदार्थो का सेवन न करे अश्लील मनोरंजन तथा मादक द्रव्यों के सेवन से समाज दूर रह कर सात्विकता एवं सदाचार सम्पन्न समाज के निर्माण से ही नैतिक मुल्यो की स्थापना संभव है । आचार्य श्री शास्त्री जी ने श्री कृष्ण कथा प्रसंग का विस्तार पुर्वक श्रवण कराते हुए बताया । कंश के अत्याचार के कारण पंचमहाभूत द्वापर मे भी प्रदूषित था।पूतना को मारकर पृथ्वी तत्व शोधन किया तृणावर्त को मारकर वायुतत्व का दावानल पान कर अग्नि तत्व का धेनुकासूर को मारकर पर्यावरण को शुद्ध किया व्योमासुर को मारकर आकाश तत्व का कालियानाग को नियंत्रित कर जल तत्व को शुद्ध किया ।इस तरह लीलाओ के माध्यम से भगवान से संदेश दिया कि भौतिक विकास के नाम पर देश के जनमानस मे प्रकृति और परमात्मा से दुरी न बढ़े इसका ध्यान रखे महंगाई और नागरिकता रहित विकास होना चाहिए ।वनसंपदा जंगल नदी पहाड़ तीर्थ सागर सेतु गौमाता को सुरक्षित रखते हुए विकास को परिभाषित करे तो राष्ट्र का कल्याण होगा ।आज भी ध्यान देने की आवश्यकता है देश मे शुद्ध भोजन शुद्ध पानी शुद्ध हवा शुद्ध पर्यावरण सुलभ नही गौहत्या देश मे बढ रही है ।जो गम्भीर चिन्ता का विषय है ।जिसकी रक्षा तथा सेवा पालन के लिए भगवान कृष्ण का अवतार हुआ ।उसी गौमाता को भी हत्या कर गौमांस का निर्यात भारत से हो रहा है । तो देश मे सुख शांति समृद्धि कैसे बढ़ेगी । आचार्य श्री शास्त्री जी ने कहा गौरक्षा केन्द्र बने जगह जगह बूढ़ी और बीमार गायो की सुरक्षा हेतु जनजागरण करे समाज मे जागरूकता पैदाकर अभियान चलाने की आवश्यकता है ।केवल सरकार पर निर्भर न रहे। इसलिए ही पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य जी महाराज द्वारा स्थापित पीठ परिषद आदित्य वाहिनी आनंद वाहिनी संस्थान का सक्रिय सदस्य बनकर धर्म एवं राष्ट्र की रक्षा के अभियान मे सहायक बने तथा सेवा प्रकल्प के द्वारा युवा पीढ़ी को धर्म समाज तथा राष्ट्र हित चिन्तन की धारा से जोड़ने का पुण्य कार्य करे। ग्रहस्थ आश्रम भगवत प्राप्ति के लिए है राजधानी रायपुर सुन्दर नगर मे आयोजित भागवत कथा प्रसंग में सप्तम् दिवस के प्रवचन माला में कथा व्यास आचार्य पंडित झम्मन शास्त्री जी महाराज ने द्वारिका पुरी के लीलाओं का जीवंत वर्णन कर श्रोताओं को मुक्त करते हुए का भगवान श्री कृष्ण चंद्र की प्रत्येक लीलाओं से प्रेरणा संदेश लेकर जीवन में यथासंभव आत्मसात करने का प्रयास करें गृहस्थ आश्रम में 16108 रानियों के मध्य रहते हुए भगवान की स्वर्ण की द्वारिका पुरी में 100 वर्षों तक विराजित रहकर भक्तों को शिक्षा प्रदान की संसार में रहते हुए राग महाशक्ति अहंकार को जीतने कृष्ण भक्ति का आसरा लेकर आप सदा सुखी प्रशन्न रह सकते हैं धन्य है ये ग्रहस्थ आश्रम ये रास्ता सम की विशेषता है अन्य तीन आश्रम की सेवा करना आसन है यज्ञ दान पुंण्य जप तप साधना सत्संग करते हुए मनुष्य जीवन के अंतिम लक्ष्य मोक्ष तक पहुंच जाता है। ध्यान रहे ग्रहस्थ आश्रम भोग के लिए नहीं भक्ती भगवान प्रा प्ती के लिए है भगवान को पाने के लिए जन्म जन्मांतर से जीव तपस्या करते हैं और वक़्त आने पर प्रभु से साक्षात्कार हो जाता है यही रहस्य है भगवान को हम भी पति बना सकते हैं प्रभु सब के परम पति है पति का तात्पर्य रक्षा करने वाले हैं परम संरक्षक है भगवान परम भागवत भक्त सुदामा जी की कथा का चिंतन कराते हुए आचार्य श्री ने कहा पाने की चाह जब समाप्त हो जाता है निष्काम और नितिन विशेष भक्तों के पीछे भगवान दौड़ते हैं सुदामा जी भगवान को मित्र भाव से बचते से उन्होंने शिक्षा गरीबी में अभाव में भी भगवत भक्ति विश्वास पूर्वक करते हुए वो धर्म का पालन करते रहे भगवान मिलेंगे भगवन को मित्र भाव से भजते थे उन्होंने शिक्षा दी गरीबी में अभाव में भगवान के पास दुख को प्रकट मत करो वे सभी भक्तों के हृदय के भावों को जानते हैं भगवान से मिलने की अभिलाषा को निरंतर बढ़ाते रहो तो भगवत कृपा रास्ता से सुलभ हो जाता है सुख का दिन आए तो भगवत आराधना उपासना में मन को अधिक लगाने का प्रयास करना चाहिए देखा यही जाता है लोग विपत्ति में भगवान से कष्ट सुनाते हैं संकट निवारण होने पर भूल जाते हैं श्री शास्त्री जी सातवें दिन की कथा प्रसंग कृष्ण उद्धव संवाद की कथा मार्मिक शैली में बताते हुए कहा जिससे ज्ञान मिले शिक्षा मिले अच्छाई को जीवन ग्रहण करो बुराई को त्याग दो भक्त बनकर जाओगे सद्गुरु का आश्रय होते रहना चाहिए हमारा जीवन दोष दुर्गुणों बुराइयों से दूर हो सदाचार संयम से पूर्ण जीवन होने पर ही आत्मा कल्याण संभव हे दत्तात्रेय जी के 24 गुणों का वर्णन करते हुए आचार्य श्री ने बताया की साधना के लिए दीक्षा गुरु एक होना चाहिए जो परमार्थ पथ में साधना के लिए मार्गदर्शन करें। नारायण से ब्रम्हा ब्रम्हा से वशिष्ठ जी वशिष्ठ से शक्ति शक्ति से परासर परासर से व्यास व्यास से शुखदेव फिर गौड पादाचार्य फिर गोविंद पाद् जी शंकराचार्य भगवान हमारी गुरु परंपरा है परंपरा प्राप्त व्यास जी से दिक्षित कर्म जीवन में साधना करें तो मनुष्य जीवन को आप सार्थक बना सकते हैं भगवत कथा सुनकर महाराज परीक्षित साक्षात प्रभु के धाम वैकुंठ लोक के लिए विमान में प्रस्थान किया दिव्य शास्त्र भागवत है जो मोक्ष देने की घोषणा करती है |
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