रायपुर। रायगढ़, कोरबा, बिलासपुर और जांजगीर-चांपा जिले की कोल वाशरियों व डिपो में पड़े छापों में अब तक 900 करोड़ रुपये से अधिक की काली कमाई उजागर हो चुकी है। जीएसटी और माइनिंग रायल्टी में बड़ी हेराफेरी सामने आई है।
अधिकारियों का दावा है कि यह प्रारंभिक आंकलन है। जब्त दस्तावेजों की जांच चल रही है। इसमें सप्ताहभर का समय और लग सकता है। जांच पूरी होने तक टैक्स चोरी की राशि बढ़ सकती है। टैक्स चोरी के साथ सरकारी और आदिवासियों की जमीन पर कब्जा, पर्यावरण नियमों का उल्लंघन सहित कई तरह गड़बड़ियां भी पकड़ में आ रही हैं।
विभागीय सूत्रों ने बताया कि जांच में कुछ जगहों में नहर के रास्ते का गैर कानूनी रूप से उपयोग किए जाने का भी पता चला है। बता दें कि राज्य सरकार की खनिज, राजस्व, पुलिस, जीएसटी विभाग व पर्यावरण विभाग के संयुक्त जांच दल ने छह जुलाई को चारों जिलों में ताबड़तोड़ छापे मारे थे।
संयुक्त टीमें कोयले के स्टाक सहित आवक-जावक, पर्यावरण नियम के उल्लंघन, भूमि संबंधी दस्तावेजों में कमियां, वेवब्रिज के कैलिब्रेशन में अंतर व अन्य कमियों की जांच कर रही है। अफसरों के अनुसार जांच की कार्रवाई 30 जून से ही शुरू कर दी गई थी। इसमें मिले दस्तावेजों और साक्ष्यों के आधार पर पिछले सप्ताह छापे की कार्रवाई की गई थी।
लग गई थी छापे की भनक
अफसरों के अनुसार कुछ संस्थानों को राज्य सरकार की इस कार्रवाई की भनक लग गई थी। इस कारण कई संस्थानों ने अपने दस्तावेज पहले ही हटा लिए थे, कम्यूटर से भी रिकार्ड मिटा दिए गए थे।
आदिवासी और कोटवारों की जमीन पर कब्जा
जांच में राजस्व से संबंधित भी कई गंभीर गड़बड़ियां मिली हैं। इनमें स्वीकृत क्षेत्रफल से अधिक में माइनिंग, कृषि भूमि पर गैर कृषि कार्य, आदिवासियों और कोटवारों की जमीन पर कब्जा शामिल है।